भारत के वीजा सेवाएं बहाल करने पर कनाडा बोला- निलंबित होनी ही नहीं चाहिए थीं
भारत के कनाडा में अपनी वीजा सेवाएं आंशिक तौर पर शुरू करने को कनाडा ने अच्छा संकेत बताया है, लेकिन साथ ही कहा कि इन्हें निलंबित किया ही नहीं जाना चाहिए था। बता दें कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर राजनयिक विवाद के बीच भारत ने 21 सितंबर को कनाडा में अपनी सभी वीजा सेवाओं को निलंबित कर दिया था। आज 26 अक्टूबर से इनमें से कुछ वीजा सेवाओं को शुरू कर दिया गया है।
कनाडा ने क्या कहा?
कनाडा के आपात प्रबंधन मंत्री और सिख नेता हरजीत सज्जन ने कहा, "यह कदम कनाडाई लोगों के लिए चिंताजनक समय के बाद अच्छा संकेत है।" हालांकि, उन्होंने कहा कि वे ये अटकलें नहीं लगाएंगे कि भारत इसके जरिए क्या संदेश देना चाहता है। दूसरी तरफ आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने कहा, "हमारी भावना यह है कि निलंबन होना ही नहीं चाहिए था। बिगड़ती राजनयिक स्थिति ने कई समुदायों में भय पैदा किया है।"
भारत ने कौन-सी वीजा सेवाओं को किया है शुरू?
कनाडा स्थित भारतीय दूतावास के बयान के अनुसार, प्रवेश वीजा, बिजनेस वीजा, मेडिकल वीजा और कॉन्फ्रेंस वीजा से संबंधित सेवाओं को शुरू किया गया है। दूतावास ने कहा कि परिस्थितियों का जायजा लेते हुए आगे के फैसले लिए जाएंगे।
राजनयिकों की सुरक्षा पर कनाडा की बढ़ती चिंता के बाद भारत ने उठाया ये कदम
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई अधिकारियों द्वारा उसके दूतावासों और कर्मियों की सुरक्षा पर भारत की चिंताओं के प्रति 'अधिक प्रतिक्रिया' दिखाने के बाद भारत ने वीजा सेवाएं फिर से शुरू की हैं। भारत ने दूतावासों और राजनयिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए ही सितंबर में अपनी वीजा सेवाओं को निलंबित किया था। खालिस्तानियों के भारतीय राजनयिकों को धमकी देने के बाद ये सुरक्षा स्थिति पैदा हुई थी।
भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर चल रहा विवाद
बता दें कि भारत और कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर ही हत्या को लेकर विवाद चल रहा है। खालिस्तानी टाइगर फोर्स (KTF) प्रमुख निज्जर की 19 जून को वैंकूवर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत के एजेंट्स का हाथ होने का आरोप लगाया है और सितंबर में उनके ये आरोप लगाने के बाद से ही दोनों देशों के संबंध बेहद खराब हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत और कनाडा के संबंधों में 'खालिस्तान आंदोलन' एक पुराना नासूर है। खालिस्तान का समर्थन करने वाले कई वांछित नेता यहां छिप कर बैठे हैं। ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद से यहां भारत विरोधी गतिविधियों में इजाफा हुआ है क्योंकि सरकार सिखों को वोटबैंक के रूप में देखती है और खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई से बचती है। भारत का आरोप है कि ट्रूडो की सरकार इन आतंकियों के प्रर्त्यपण के कई अनुरोधों को ठुकरा चुकी है।