बांग्लादेश: अमेरिकी फंड रुकने से कमजोर होगी मुहम्मद यूनुस की स्थिति, हसीना कर सकती हैं वापसी
क्या है खबर?
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक आदेश के बाद जोश बढ़ गया है।
दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने बांग्लादेश में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की फंडिंग रोक दी है, जिससे अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस की स्थिति कमजोर हो सकती है।
यूनुस के कमजोर होने से आवामी लीग पार्टी आम चुनाव की घोषणा होते ही खुद को साबित करेगी।
आदेश
ट्रंप के आदेश से बांग्लादेश पर क्या पड़ेगा असर?
खबरों के मुताबिक, USAID की फंडिंग रुकने से उन संगठनों के लिए परिचालन और वित्तीय प्रवाह बाधित होगा, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस की स्थिति को मजबूत किया है।
फंडिंग कटौती राजनीतिक अशांति, श्रम अधिकारों की चिंता और लोकतांत्रिक पतन के लिए एक कड़े संदेश जैसा है। इससे बांग्लादेश की वित्तीय स्थिति भी लड़खड़ाएगी।
इससे यूनुस से जुड़े नागरिक समाज नेटवर्क पर भी असर पड़ेगा, जो ऐसी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग पर निर्भर हैं।
आवामी पार्टी
आवामी पार्टी के अंदर खुशी की लहर
फंडिंग रोकने के फैसले से आवामी पार्टी काफी खुश हैं। उनके एक एक वरिष्ठ ने बताया कि हसीना उनकी मार्गदर्शक हैं और पार्टी उन्हें नहीं छोड़ेगी।
उन्होंने कहा कि वे देश को अंतरिम सरकार के हाथों में नहीं छोड़ेंगे और लोग जानते हैं कि हसीना ने देश के लिए क्या किया है और वे आज भी लोकप्रिय हैं।
आठ महीने के निर्वासन के बाद भी हसीना पार्टी को अंदरखाने मजबूत कर रही हैं, वे वर्चुअल बैठकें भी करती हैं।
वापसी
हसीना के लौटने की कितनी उम्मीद?
न्यूज18 के मुताबिक, बांग्लादेश के अलावा भारत के प्रमुख शहरों और अन्य विदेशी देशों में फैले आवामी लीग के कार्यकर्ता आज भी हसीना के संपर्क में हैं।
VPN ट्रैकिंग से बचने के लिए डिज़ाइन सुरक्षित संचार प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर उन्होंने वहां एक मजबूत श्रृंखला तैयार की है, जहां पार्टी के प्रमुख सदस्य स्वास्थ्य-शिक्षा वीजा पर हैं।
अंतरिम सरकार द्वारा हटाए गए उनके कुछ वरिष्ठ पार्टी सहयोगी और करीबी नौकरशाह रणनीतिक आधार पर सहयोग की तलाश में विदेशों में हैं।
निर्वासन
पिछले साल अगस्त में छोड़ा था देश
बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर सत्ता विरोध प्रदर्शन और हिंसा शुरू होने पर शेख हसीना अपनी छोटी बहन शेख रेहाना के साथ भारत आ गई थीं।
शेख परिवार की दोनों महिलाएं 5 अगस्त से दिल्ली में हैं और उनको पूरी सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
उन्होंने ब्रिटेन समेत अन्य यूरोपीय देशों में शरण मांगी थी। हालांकि, कहीं से मंजूरी नहीं मिली। दूसरी तरफ, बांग्लादेश हसीना के प्रत्यर्पण का दबाव बना रहा है। भारत ने प्रत्यर्पण पर कुछ नहीं कहा।