शेख हसीना से पहले राजनीतिक उथल-पुथल के बीच इन नेताओं ने छोड़ा था अपना देश
बांग्लादेश में भड़की हिंसा के बाद सोमवार को शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा है। वह अभी भारत में हैं और जल्द ही उनके लंदन जाने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब किसी नेता ने अपना देश छोड़ा है। इससे पहले भी कई देशों के नेताओं को राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अपना देश छोड़ना पड़ा है। आइए ऐसे ही नेताओं पर एक नजर डालते हैं।
गोटाबाया राजपक्षे (श्रीलंका)
नवंबर 2019 से जुलाई 2022 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे गोटाबाया राजपक्षे को गंभीर आर्थिक संकट के कारण कड़े विरोध और सार्वजनिक अशांति का सामना करना पड़ा था। देश को बिजली कटौती, ईंधन, भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी चीजों की कमी का सामना करना पड़ा था। पहले तो उन्होंने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ संकट से निपटने की कोशिश की, लेकिन विरोध प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के बाद उन्हें अपना आधिकारिक आवास छोड़ना पड़ा था।
देश छोड़कर सिंगापुर पहुंचे थे राजपक्षे
राजपक्षे देश छोड़कर पहले मालदीव गए और कुछ दिन बाद सिंगापुर पहुंच गए। इसके बाद भी स्थिति नहीं संभलने पर उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, सितंबर 2022 में राजपक्षे फिर से श्रीलंका लौट आए और अब राजनीतिक वापसी का प्रयास कर रहे हैं।
अशरफ गनी (अफगानिस्तान)
अशरफ गनी ने सितंबर 2014 से अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। साल 2021 की गर्मियों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया और 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करते हुए सत्ता अपने हाथों में ले ली। उसके बाद गनी अफगानिस्तान छोड़कर ताजिकिस्तान चले गए। उसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी पहुंचकर राजनीतिक शरण ले ली। उसके बाद से ही अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन है।
जनरल परवेज मुशर्रफ (पाकिस्तान)
पाकिस्तान में साल 2001 से 2008 तक राष्ट्रपति पद पर रहे जनरल परवेज मुशर्रफ को भी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच देश छोड़ना पड़ा था। वह 1999 में सैन्य तख्तापलट के जरिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर सत्ता में आए थे और 2001 में राष्ट्रपति बन गए। हालांकि, उन पर मानवाधिकारों के हनन, राजनीतिक दमन, आर्थिक असमानता और न्यायपालिका पर कार्रवाई जैसे गंभीर आरोप लगे थे। इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता शुरू हो गई।
मुशर्रफ को 2008 में छोड़ना पड़ा था देश
मुशर्रफ ने 2007 में आपातकाल घोषित कर संविधान को निलंबित कर दिया और मुख्य न्यायाधीश तथा सुप्रीम कोर्ट को बर्खास्त कर दिया। बाद में महाभियोग की कार्यवाही से बचने के लिए 2008 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और लंदन में चले गए। इसके बाद वह दुबई आ गए। वहां से वह 2013 में पाकिस्तान लौट आए, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर नजरबंद कर दिया। 5 फरवरी, 2023 में दुबई में उनकी मौत हो गई।
मुहम्मद सोहार्तो (इंडोनेशिया)
साल 1967 से 1998 तक इंडोनेशिया पर शासन करने वाले राष्ट्रपति मुहम्मद सोहार्तो को भी राजनीतिक उथल-पुथल के कारण पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। तख्तापलट के माध्यम से सत्ता में आने के बाद सुहार्तो के शासन में आर्थिक विकास तो हुआ, लेकिन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों का हनन भी हुआ। 1990 के दशक के अंत में इंडोनेशिया में आर्थिक संकट और भी गहरा गया और देश में घोर अशांति फैल गई।
सुहार्तो ने मई 1998 में दिया पद से इस्तीफा
मई 1998 में इंडोनेशिया में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होने से स्थिति नियंत्रण के बाद हो गई। इसके बाद सुहार्तो ने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह जकार्ता में एकांतवास में रहे, ताकि भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों में होने वाली कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके। वह बार-बार खुद को निर्दोष होने के बयान जारी करते रहे। आखिर में 27 जुनवरी, 2008 को उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने कभी आरोप स्वीकार नहीं किए।
सादिक अल-महदी (सूडान)
सादिक अल-महदी 1966 से 1967 और 1986 से 1989 तक सूडान के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने दूसरे कार्यकाल में गठबंधन सरकार बनाई थी, लेकिन जून 1989 में ब्रिगेडियर उमर अल-बशीर ने सैन्य तख्तापलट में उन्हें पद से बेदखल कर दिया। उसके बाद उन्होंने कई देशों में शरण ली और 2018 में वापस लौटकर विपक्ष का नेतृत्व किया। बाद में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया, लेकिन 2019 में वे फिर से भाग निकले। 2020 में कोरोना संक्रमण उनकी मौत हो गई।
जीन-बर्ट्रेंड एरिस्टाइड (हैती)
साल 1991 में हैती के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने जीन-बर्ट्रेंड एरिस्टाइड को उसी साल सैन्य तख्तापलट में पद से हटा दिया गया। उसके बाद वह अमेरिका चले गए। 1994 में अमेरिका के नेतृत्व वाले हस्तक्षेप के बाद उन्हें सत्ता में वापस लाया गया। फरवरी 2004 में एक हिंसक विद्रोह के बीच वह फिर से हैती छोड़ गए। उन्होंने मध्य अफ्रीकी गणराज्य और फिर दक्षिण अफ्रीका में 7 साल बिताए। हालांकि, साल 2011 में वह फिर से हैती लौट आए।