डेनमार्क: लगभग हर देश में घूमकर वापस घर लौटा व्यक्ति, जानिए उनके सफर की कहानी
दुनिया घूमने का सपना तो कई लोग देखते हैं, लेकिन कुछ इसे पूरा कर पाते हैं। डेनमार्क के रहने वाले टोरबजर्न पेडरसन ने अपना सपना पूरा कर लिया हैं, जो साल 2013 में अपने रिश्तेदारों और नौकरी को छोड़कर दुनिया घूमने के लिए घर से निकल गए थे और अब वह इस साल 24 मई को घर वापस लौट आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि टोरबजर्न ने यह सफर फ्लाइट की बजाय ट्रेन, बस और जहाज से पूरा किया।
टोरबजर्न ने प्रतिदिन 20 डॉलर पर प्रत्येक देश में 24 घंटे बिताए
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, टोरबजर्न ने एक दशक तक 203 देशों की यात्रा की और इसे शुरू करने से पहले उन्होंने अपने लिए 3 यात्रा नियम निर्धारित किए थे कि वह प्रत्येक देश में केवल 24 घंटे रुकेंगे, प्रतिदिन 20 डॉलर से अधिक खर्च नहीं करेंगे और सभी देशों की यात्रा करने से पहले घर नहीं लौटेंगे। बता दें कि कुछ स्थानों को छोड़कर टोरबजर्न ने बसों, ट्रेनों और जहाजों के जरिए अपनी यात्रा पूरी की है।
अजनबियों से मिली बहुत मदद
टोरबजर्न ने अपनी यात्रा के दौरान कई अजनबियों से मित्रता की और उनसे उसे कई तरह की मदद मिली। किसी ने उसे रहने के लिए जगह दी तो किसी ने भोजन और किसी ने अनुवाद सहायता प्रदान की।
कार्य अनुभव के कारण आसान हुई टोरबजर्न की यात्रा
44 वर्षीय टोरबजर्न दुनिया घूमने से पहले शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में काम करते थे। इससे उन्हें अपनी यात्रा के जटिल मार्गों को सरल बनाने में मदद मिली। उन्हें अधिकतर देशों के लिए वीजा मिल गया, लेकिन कुछ के लिए उन्हें कतारों में इंतजार करना पड़ा। यूरो न्यूज के साथ बातचीत के दौरान टोरबजर्न ने बताया कि यात्रा के दौरान कभी-कभी वह वीजा का इंतजार कर रहे होते थे तो कभी-कभी वह एक जहाज की तलाश में होते थे।
घर पहुंचकर टोरबजर्न ने साझा किया इंस्टाग्राम पोस्ट
महामारी के कारण हांगकांग में फंस गए थे टोरबजर्न
साल 2020 में टोरबजर्न माइक्रोनेशिया से एक कंटेनर जहाज के जरिए हांगकांग पहुंचे और इसके बाद उनकी सूची में पलाऊ, वानुअतु, टोंगा, समोआ, तुवालु, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और मालदीव सहित केवल 9 देश बचे थे। हालांकि, COVID-19 महामारी के कारण वह हांगकांग में ही फंस गए और 2 साल तक यात्रा नहीं कर पाएं। इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया गए और बाकि देशों की यात्रा के लिए निकल पड़े।
महीने भर की वीजा देरी ने बढ़ाई परेशानी
टोरबजर्न ने यह अनुमान लगाया था कि उन्हें 203 देशों का दौरा करने में केवल 4 साल लगेंगे, लेकिन COVID-19 के अलावा सीरिया, ईरान, अंगोला और नाउरू के लिए वीजा पाने के लिए उन्हें महीनेभर की देरी ने भी परेशान किया।
यात्रा के दौरान कई बीमारियों और तूफान का किया सामना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टोरबजर्न को अपनी यात्रा के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जहां वह घाना में सेरेब्रल मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचे, वहीं अटलांटिक महासागर में 4 दिन तक तूफान आया। यही नहीं, महामारी के कारण टोरबजर्न को कई दिनों तक होटलों में क्वारंटाइन भी होना पड़ा। इसके अलावा डाकुओं के कारण वह एक ट्रक में भी फंस गए और टूटे-फूटे जहाजों के कारण यात्राएं पुनर्निर्धारित भी करनी पड़ी।
अपनी यात्रा पूरी करके बहुत खुश हैं टोरबजर्न
टोरबजर्न द्वारा की गई गणना के अनुसार, दुनियाभर में अपनी 223,000 मील की यात्रा के दौरान उन्होंने 3,576 जहाज, 158 ट्रेनें, 219 टैक्सियां, 351 बसें, 33 नावें और 43 रिक्शा की सवारी की। मीडिया से बातचीत करते हुए टोरबजर्न ने कहा, "इस वैश्विक दौरे के साथ वह न केवल अपने दृढ़-इच्छाशक्ति वाले समर्पण का जश्न मना रहे हैं, बल्कि दुनिया की सकारात्मकता और दयालुता का भी जश्न मना रहे हैं और इसके लिए मैं बहुत खुश हूं।"