45,000 साल पहले हुई थी महिला की मौत, वैज्ञानिकों ने खोपड़ी से बनाया डिजिटल चेहरा
वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक ऐसी महिला के चेहरे का अनुमान लगाया है, जिसकी मौत 45,000 साल पहले हो गई और उसके अवशेषों को 70 साल पहले खोजा गया था। महिला को ज्लाटी कुओ नाम दिया गया है, जो साल 1950 में यूरोप के देश चेक गणराज्य में एक गुफा के अंदर दफन मिली थी। पिछले महीने प्रकाशित एक ऑनलाइन पेपर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने महिला की खोपड़ी के सीटी स्कैन के डाटा से डिजिटल चेहरा बनाया है।
प्राग के राष्ट्रीय संग्रहालय से ली गई खोपड़ी
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने महिला की खोपड़ी चेक की राजधानी प्राग में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय से ली है, जो नृविज्ञान विभाग की देखभाल में थी। वैज्ञानिकों ने बताया कि खोपड़ी में नाक की हड्डी, मैक्सिला और ललाट हड्डी का बायां हिस्सा नहीं था। इसके बाद भी उन्होंने महिला की छवि इस तरह से डिजाइन की कि उसके बाल काले और घुंघराले हैं, जबकि त्वचा भूरे रंग की और आंखें भी भूरे रंग की हैं।
जानवर द्वारा कुतरी हुई थी खोपड़ी- डिजाइनर सिसेरो
ब्राजील के डिजाइनर सिसेरो मोरेस ने लाइव साइंस को बताया, "महिला की मृत्यु के बाद उसकी खोपड़ी को एक जानवर ने कुतर दिया था। यह जानवर भेड़िया या लकड़बग्घा हो सकता था।" सिसेरो ने यह भी कहा, "हमने ऐसे तत्वों की तलाश की जो केवल एक काल्पनिक स्तर पर चेहरे की दृश्य संरचना की रचना कर सकते हैं क्योंकि त्वचा, बाल और आंखों का रंग क्या होगा, इस पर कोई डेटा प्रदान नहीं किया गया था।"
इस तरह से तैयार किया गया डिजिटल चेहरा
सिसेरो ने आगे यह भी कहा, "एक बार जब हमारे पास मूल चेहरा था तो हमने अधिक उद्देश्यपूर्ण और वैज्ञानिक छवियां तैयार कीं, जो कि बिना रंग, बंद आंखों और बिना बालों के थीं। इसके बाद हमने पिगमेंटेड त्वचा, खुली आंखों, फर और बालों के साथ एक अलग संस्करण बनाया।" बता दें कि सिसेरो और उनकी टीम ने मिस्त्र के किंग टुट के चेहरे का 3D अनुमान बनाने के लिए एक अनोखी तकनीक का भी उपयोग किया।
पहले भी वैज्ञानिक कर चुके हैं ऐसा प्रयोग
पिछले साल भी एक ऐसा ही प्रयोग किया गया था, जब वैज्ञानिकों की एक टीम को उत्तरी चेक गणराज्य के कब्रिस्तान से महिला का कंकाल मिला था। यह कंकाल 4,000 साल से भी ज्यादा पुराना था और इसकी खोपड़ी को रीकंस्ट्रक्ट करके उसे एक खूबसूरत डिजिटल चेहरा दिया गया। चेक गणराज्य के एकेडमी ऑफ साइंसेज के पुरातत्व संस्थान के पुरातात्विद माइकल एर्नी ने बताया था कि यह नहीं पता चला कि महिला कौन थी।