पेंगुइन की ये प्रजाति लेती है दिन में 10,000 बार झपकी, गहरी नींद में नहीं सोती
अंटार्कटिका के किंग जॉर्ज द्वीप पर जब वैज्ञानिकों ने चिनस्ट्रैप पेंगुइन की नींद के पैटर्न का अध्ययन किया तो उन्हें पता चला कि पेंगुइन की ये प्रजाति मनुष्यों के विपरीत एक दिन में 10,000 से अधिक बार सोती है। हालांकि, ये गहरी नींद में नहीं सोती हैं और झपकी लेती हैं। साइंस जर्नल में प्रकाशित यह शोध मौजूदा मान्यताओं को चुनौती देता है और पेंगुइन के नींद पैटर्न के बारे में विस्तार बताता है।
11 घंटे की नींद लेते हैं चिनस्ट्रैप पेंगुइन
ल्योन न्यूरोसाइंस रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन अंटार्कटिक के बर्फीले वातावरण में रहने वाली चिनस्ट्रैप पेंगुइन की नींद के पैटर्न को पता करने के लिए किया था। शोधकर्ताओं ने द गार्जियन को बताया कि ये पेंगुइन दिन में 11 घंटे की नींद लेती हैं और इस दौरान ये अपने घोंसले पर भी निरंतर निगरानी रखती हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह अनोखा पैटर्न पशु जगत में नींद की विविधता और अनुकूलन क्षमता पर सवाल उठाता है।
अध्ययन के लिए इस्तेमाल की गई आधुनिक तकनीकें
दशकों बाद पेंगुइन के नींद पैटर्न पर दोबारा अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों ने चिनस्ट्रैप पेंगुइन की नींद लेने की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। इस शोध के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) निगरानी और लगातार वीडियो फुटेज का इस्तेमाल करते हुए पेंगुइन के पूरे दिन की नींद पर ध्यान दिया गया। अध्ययन में इस बात का जिक्र भी किया गया कि पेंगुइन नींद के दौरान भी सतर्क रहते हैं और अपने सारे काम धीरे-धीरे निपटाते रहते हैं।
14 चिनस्ट्रैप पेंगुइन पर निगरानी रखकर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन 14 चिनस्ट्रैप पेंगुइन पर किया। EEG निगरानी और वीडियो फुटेज के साथ किया गया यह अध्ययन इन पेंगुइन की सोने की विभिन्न स्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता पर भी प्रकाश डालता है। विशेष रूप से खड़े होकर या लेटकर सोने की क्षमता पेंगुइन की नींद की बहुमुखी प्रतिभा को उजागर करती है और जीवित रहने की उनकी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस तरह से अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं ये पेंगुइन
चिनस्ट्रैप पेंगुइन अपने अंडों के पोषण और बच्चों की सुरक्षा का बहुत ही अच्छे से ध्यान रखते हैं। इसके अतिरिक्त जब बच्चों की मां अपने घोसले में आराम कर रही होती है तो पिता अंटार्कटिक के पानी में भोजन की तलाश करते हैं। अध्ययन के मुताबिक, ये पेंगुइन शिकार के निरंतर खतरे, विशेष रूप से भूरे स्कुआ पक्षियों या प्रतिद्वंद्वी पेंगुइन से खुद को बचाए रखने के लिए भी एक खास तरह की नींद में रहते हैं।
विभिन्न जानवरों में भिन्न हो सकता है नींद का पैटर्न- पॉल-एंटोनी
अध्ययन के प्रमुख पॉल-एंटोनी लिबौरेल का कहना है कि विभिन्न प्रजातियों में नींद का विभिन्न पैटर्न उनके व्यवहार पर पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रभाव की झलक प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि नींद जानवरों के व्यवहार का केंद्र होने के कारण चयनात्मक दबावों से गुजरती है और ये विभिन्न प्रजातियों में भिन्न-भिन्न होती है। उनके मुताबिक, चिनस्ट्रैप पेंगुइन के नींद पैटर्न नींद की पारंपरिक समझ को चुनौती देती है।