भारत के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानिए अनूठे तरीके
क्या है खबर?
दिवाली कार्तिक महीने के 15वें दिन पड़ती है और द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल छोटी दिवाली 11 नवंबर को है, जबकि बड़ी दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का सबसे अच्छा समय अमावस्या तिथि के दौरान है, जो कि 12 नवंबर को दोपहर 2:45 बजे शुरू होकर 13 नवंबर को 2:56 बजे समाप्त होगी।
ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में दिवाली कैसे मनाई जाती है।
#1
उत्तर-भारत में दिवाली मनाने का तरीका
उत्तर-भारत में हिंदुओं के लिए दिवाली भगवान राम, देवी सीता और भगवान लक्ष्मण के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का प्रतीक है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार और आसपास के इलाकों में आज भी दीये जलाने की परंपरा है, जबकि दिल्ली और पंजाब में लोग दिवाली की रात जुआ खेलते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।
दिवाली पर कई लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी पूजा करते हैं।
#2
गुजरात में ऐसे मनाई जाती है दिवाली
गुजरात में दिवाली पर बहुत ही अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन वहां घरों में घी का एक दीया जलाया जाता है, जो पूरी रात जलता रहता है।
फिर अगली सुबह इस दीये की लौ इकट्ठा की जाती है और इसका इस्तेमाल काजल बनाने के लिए किया जाता है, जिसे महिलाएं अपनी आंखों पर लगाती हैं।
माना जाता है कि ऐसा करने से पूरे साल घर में समृद्धि बनी रहती है।
#3
ओडिशा में कैसे मनाई जाती है दिलाली?
ओडिशा में हिंदू समुदाय दिवाली पर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देता है।
हालांकि, पश्चिम-भारत में त्योहार ज्यादातर व्यवसाय और व्यापार से जुड़ा होता है, जहां नए उद्यम, संपत्तियों की खरीद, कार्यालयों और दुकानों के उद्घाटन और विवाह जैसे विशेष अवसरों को शुभ माना जाता है।
दिवाली पर पश्चिमी भारत के लोग अपने घर में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली बनाते हैं और इस पर उनके पैरों के निशान बनाना दिवाली का एक अभिन्न अंग है।
#4
पश्चिम बंगाल में ऐसे मनाई जाती दिवाली
दिवाली के अवसर पर पश्चिम बंगाल में देवी काली की पूजा की जाती है। कुछ घरों में गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि वे शुभता के प्रतीक हैं।
इसके अतिरिक्त पूर्वी भारत में मोमबत्तियां और दीये जलाने की रस्म लंबे समय से चलती आ रही है।
हालांकि, कुछ भक्त मां लक्ष्मी के प्रवेश के लिए अपने घरों के दरवाजों को खुला रखते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवी एक बार घर का दौरा जरूर करती है।
#5
महाराष्ट्र में दिवाली मनाने का तरीका
महाराष्ट्र में हिंदू 4 दिनों तक दिवाली मनाते हैं, जिसमें वसुबारस पहला दिन होता है और इस अवसर पर गायों और बछड़ों की आरती की जाती है।
दूसरे दिन धनतेरस मनाई जाती है, जबकि तीसरे दिन नरकचतुर्दशी होती है, जहां लोग सुबह-सुबह सुगंधित तेल से स्नान कर मंदिर जाते हैं और फिर फरल नामक एक विशेष दिवाली की तैयारी करते हैं।
चौथा दिन बड़ी दिवाली का होता है और उस दिन मां लक्ष्मी, धन और आभूषण की पूजा होती है।
#6
दक्षिण-भारत में दिवाली मनाने का तरीका
दक्षिण-भारत में नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली उत्सव का मुख्य दिन है।
नरक चतुर्दशी से एक दिन पहले मिट्टी के घड़े को साफ किया जाता है और फिर उसे चूने से लेपा जाता है।
इसके बाद उस पर धार्मिक प्रतीक बनाकर उसमें पानी भरा जाता है और फिर मुख्य दिन तेल स्नान के लिए उस पानी का इस्तेमाल होता है।
वहां एक और अनोखी रस्म है कि नवविवाहित जोड़ा अपनी पहली दिवाली दुल्हन के माता-पिता के घर में मनाता है।