पराग्वे के अधिकारी ने किया नित्यानंद के काल्पनिक देश 'कैलासा' के साथ समझौता, देना पड़ा इस्तीफा
क्या है खबर?
दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे के एक सरकारी अधिकारी को भगोड़े भारतीय गुरु नित्यानंद के काल्पनिक देश कैलासा के साथ समझौता करना भारी पड़ा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पराग्वे में कृषि मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ आरनाल्डो कामोरे को बुधवार (29 नवंबर) को इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा नामक काल्पनिक देश के साथ समझौते पर दस्तखत किए थे।
आइये इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
कैसे शुरू हुआ यह मामला?
यह मामला 16 अक्टूबर से शुरू हुआ। इस दिन कामोरे ने नित्यानंद द्वारा स्थापित कैलासा देश के साथ मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर दस्तखत किया, जिसके बाद कामोरे की खूब आलोचना हुई।
दरअसल, कैलासा देश के कथित प्रतिनिधि पहले भी विदेशी नेताओं के साथ समझौता करके उन्हें धोखा दे चुके हैं।
ऐसे में कामोरे के समझौते के बारे में खुलासा होने के बाद पराग्वे में बड़ा विवाद हो गया, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
जानकारी
क्या था समझौता?
कैलासा के साथ हुए समझौते में इच्छा जताई गई कि पराग्वे सरकार से सिफारिश की जाएगी कि कैलासा के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए जाएं और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में कैलासा को एक संप्रभु और स्वतंत्र देश के रूप में शामिल करने का समर्थन किया जाए।
बयान
मामले में कामोरे ने क्या कहा?
विवाद के बीच कामोरे ने एक रेडियो इंटरव्यू में बताया कि कैलासा देश के प्रतिनिधियों ने उनसे और कृषि मंत्री कार्लोस गिमेनेज से मुलाकात की थी।
उन्होंने आगे कहा, "मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि यह देश कहां है। मैंने समझौते पर इसलिए दस्तखत किए थे क्योंकि प्रतिनिधियों ने सिंचाई और अन्य कई तरह की सुविधाओं के लिए पराग्वे की मदद करने का आश्वासन दिया था।"
जानकारी
पहले भी विदेशी नेताओं को बेवकूफ बना चुका है कैलासा
यह पहली बार नहीं है कि जब कैलासा के प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं को धोखा दिया है।
इस साल फरवरी में कैलासा के 2 प्रतिनिधि जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र (UN) की बैठक में हिस्सा लेने में भी कामयाब हुए थे।
इसके अलावा, मार्च में अमेरिका के नेवार्क शहर ने भी कहा था कि जब उन्होंने कैलासा के साथ सिस्टर सिटी समझौते पर दस्तखत किए थे तो उनके साथ भी घोटाला हुआ था।
फर्जी देश
क्या है कैलासा?
रेप के एक मामले में घिरने के बाद भारत से भागे नित्यानंद ने दक्षिण अमेरिका में एक द्वीप खरीदकर इसे अपना देश घोषित कर दिया था। उसने इसे 'कैलासा' नाम दिया।
कैलासा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कैलासा देश दुनियाभर में सताए गए हिंदुओं को सुरक्षा देता है और यहां जाति और लिंग का भेदभाव किए बिना सभी हिंदू शांति से रहते हैं।
वेबसाइट के अनुसार, देश का अपना संविधान, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री और सेना प्रमुख हैं।
मान्यता
कहां है कैलासा?
दावा किया जाता है कि कैलासा इक्वाडोर से सटे एक द्वीप पर बसा हुआ है। हालांकि, इक्वाडोर की सरकार इस बात को नकार चुकी है।
एक ओर कैलासा के प्रतिनिधि दुनियाभर के राजनयिकों से चर्चा करते हुए सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर आज तक वहां के नागरिक, मुद्रा, सरकार, इमारत और बैंक आदि से जुड़ी एक भी तस्वीर सामने नहीं आई है, इसलिए कैलासा को देश के तौर पर मान्यता नहीं मिली है।