गुजरात: इस गांव में राजनीतिक पार्टियों के प्रवेश पर प्रतिबंध, वोट न डालने पर जुर्माना
गुजरात में अगले हफ्ते विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं से उन्हें वोट देने की अपील करते हुए जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ राज्य में एक ऐसा गांव भी है जो चुनाव-प्रचार से बिल्कुल दूर है। इसके बावजूद यहां सभी ग्रामीणों का वोट डालना अनिवार्य है। हम बात कर रहे हैं राजकोट से 20 किलोमीटर दूर स्थित 'राज समाधियाला' गांव की। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
1980 के दशक से गांव में पार्टियों के प्रवेश पर प्रतिबंध
राज समाधियाला एक आदर्श गांव होने की मिसाल कायम कर रहा है। इस गांव में 1980 के दशक से राजनीतिक पार्टियों के प्रवेश और चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा हुआ है। गांव के सरपंच के आदेश पर यह प्रतिबंध लागू है। इसके अलावा गांव में जानबूझकर वोट नहीं डालने वालों पर 51 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। इसी कारण लगभग 1,050 आबादी वाले इस गांव के 95 प्रतिशत लोग चुनाव के दौरान अपना वोट डालते हैं।
गांव में 39 साल से नहीं है चुनाव प्रचार की अनुमति
गांव के सरपंच हरदेव सिंह ने कहा, "यह गांव 1983 से एक मॉडल है। यहां किसी भी प्रचार की अनुमति नहीं है, न ही किसी विधायक की एंट्री है। राजनीतिक पार्टियां खुद इस बात से वाकिफ हैं कि अगर वे यहां प्रचार करने आएंगे तो उनके जीतने की संभावना खत्म हो जाएगी।" उन्होंने आगे कहा कि गांव की पंचायत इतनी शक्तिशाली है कि उसका फैसला किसी भी पार्टी के उम्मीदवार के जीत के अंतर को प्रभावित कर सकता है।
केवल इन लोगों को है वोट न डालने की छूट, वर्ना लगता है जुर्माना
विधानसभा चुनाव हों या संसदीय चुनाव, इस गांव में लगभग 95 प्रतिशत वोटिंग होती है। सरपंच हरदेव के मुताबिक, गांव में रह रहे ऐसे बुजुर्ग जिनकी देखभाल उनके बच्चे कर रहे हैं या बाहर रह रहीं विवाहित महिलाओं को वोट नहीं देने की छूट है। अन्य किसी के जानबूझकर वोट नहीं डालने पर 51 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति वोट डालने में असमर्थ है तो उसे पहले से ही पंचायत को कारण बताना होता है।
खेती करके गुजारा करते हैं ग्रामीण
गांव के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "हमारे गांव के लोग अपने हिसाब से वोट देते हैं या वह उस समिति के निर्णय के साथ जाते हैं, जिसमें सभी समुदायों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।" बता दें कि यहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ठाकुर समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ मालधारी समुदाय के कई लोग रहते हैं। गांव में रह रहे ज्यादातर ग्रामीण किसान हैं और मूंगफली या रुई की खेती करके आस-पास के कारखानों में बेच देते हैं।
गांव में मौजूद हैं कई आधुनिक सुविधाएं
इस गांव में कई आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। यहां पर वाई-फाई के माध्यम से इंटरनेट कनेक्शन, CCTV कैमरे और पानी पीने के लिए RO प्लांट जैसी कई सुविधाएं हैं। गांव में साफ-सुथरी पक्की सड़कें, बाजार और एक छोटा क्रिकेट स्टेडियम भी है। यहां पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए स्वच्छ शौचायल हैं और 2017 में ही गांव को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया था।
10 अन्य गांव भी हुए प्रभावित
इंडिया टुडे के मुताबिक, इस मॉडल गांव के 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 10 गांवों ने भी राजनीतिक पार्टियों को प्रवेश न देने का फैसला लिया है। इन 10 गांवों की सामूहिक आबादी 5,000 से 6,000 के बीच है।
न्यूजबाइट्स प्लस
अगले महीने गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। गुजरात में आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री ने मामले को त्रिकोणीय बना दिया है। राज्य में इस बार 4.9 करोड़ से अधिक मतदाता पार्टियों और उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 3.24 लाख पहली बार मतदान करेंगे।