अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ जेट विमान इंजन सौदे को दी मंजूरी
अमेरिकी कांग्रेस को भारत के साथ GE जेट इंजन सौदे को आगे बढ़ाने के जो बाइडन प्रशासन के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है, जिससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ कंपनी के समझौते का रास्ता साफ हो गया है। इस सौदे के तहत भारत में जेट इंजनों के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और लाइसेंस व्यवस्था भी शामिल है। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान यह अहम समझौता हुआ था।
किसी सीनेटर ने सौदे पर नहीं जताई आपत्ति
हिंदुस्तान टाइम्स के सूत्रों के अुनसार, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले ही इस बिक्री को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन प्रक्रिया के अनुसार, गृह विभाग ने 28 जुलाई को सदन और सीनेट की विदेश संबंध समिति को इस बारे में सूचना दी। उसने कहा कि सूचना के 30 दिनों तक कोई कांग्रेसी प्रतिनिधि या सीनेटर आपत्ति नहीं करता, तो इसे सहमति माना जाता है। इस पर कोई आपत्ति नहीं मिली और अब प्रशासन अगला कदम उठा सकता है।
बाइडन की भारत यात्रा के दौरान हो सकती है समझौते पर चर्चा
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर अभी कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। एक प्रवक्ता ने कहा, "हमें वाणिज्यिक रक्षा व्यापार लाइसेंसिंग गतिविधियों के विवरण पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से प्रतिबंधित किया गया है।" माना जा रहा है कि सितंबर में G-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन की यात्रा के दौरान इस अहम समझौते को आगे बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
F-414 जेट इंजन निर्माण को लेकर हुआ है सौदा
रिपोर्ट के अनुसार, इस जेट विमान इंजन सौदे को लेकर अमेरिकी सरकार द्वारा जल्द अधिसूचना जारी की जा सकती है। 22 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी में GE एयरोस्पेस और HAL ने भारत स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के उन्नत वर्जन मार्क-2 के लिए GE-F414 जेट इंजन के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह जेट इंजन केवल अमेरिका की कंपनी GE एयरोस्पेस ही बनाती है।
भारत को सौदे से हवाई क्षमता बढ़ाने में मिलेगी मदद
भारत सरकार ने वायुसेना और नौसेना के लिए 350 से अधिक लड़ाकू विमान बनाने का लक्ष्य रखा है। यह सौदा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिकी जेट इंजन तकनीक को बेहद उत्कृष्ट माना जाता है। उसने अपने करीबी सहयोगियों के साथ भी ऐसी तकनीक साझा नहीं की है। ऐसे में अमेरिका के साथ इस सौदे से भारत को जेट इंजन प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ने और चीन के साथ नाजुक हालात के संदर्भ में हवाई क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
सौदे में 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल
इस सौदे में 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है और इसका मूल्य लगभग 1 अरब डॉलर होने का अनुमान है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि नए फाइटर जेट इंजन में LCA मार्क-1A में 55-60 फीसदी और मौजूदा वेरिएंट में 50 प्रतिशत की तुलना में लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री होगी। उन्होंने कहा कि सौदे के तहत 99 F-414 इंजन बनाने के लिए GE एयरोस्पेस के साथ समझौते पर चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
न्यूजबाइट्स प्लस
GE-F414 उन्नत तकनीक से बना टर्बोफैन इंजन है। यह 22,000 पाउंड का थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम है, यानी ये इतनी क्षमता का धक्का पैदा कर विमान को उड़ाने में सक्षम है। इंजन की बड़ी खासियत है कि ये फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (FADEC) तकनीक से लैस है। इसका मतलब इसे पूरी तरह डिजिटल तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। यह विमान को 2,469 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ा सकता है।