इंग्लैंड: 3 फीट से ज्यादा नहीं देख पाता शख्स, फिर भी सामान्य मुक्केबाज से करेगा मुकाबला
क्या है खबर?
इंग्लैंड के बार्न्सले में रहने वाले 23 वर्षीय थॉमस सेरेस मुक्केबाजी के काफी शौकीन हैं और वह अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए अगले महीने रिंग में उतरने वाले हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, थॉमस अपनी जन्मजात बीमारी की वजह से ठीक से देख नहीं सकते हैं, इसके बावजूद वह मुक्केबाजी करने वाले हैं। इस मुकाबले के लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
मामला
ग्लूकोमा की वजह से थॉमस देखने में हैं असमर्थ
थॉमस को जन्म से ही ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) है। इस वजह से वह अपने सामने केवल तीन फीट तक ही देख सकते हैं। वह चलते वक्त लाठी का इस्तेमाल करते हैं।
इन सब के बावजूद थॉमस ने मुक्केबाज बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए रिंग में उतरने का फैसला लिया है।
इस मुकाबले की तैयारी के लिए थॉमस हफ्ते में तीन दिन ट्रेनिंग ले रहे हैं और वजन उठाने वाली एक्सरसाइज कर रहे हैं।
खेल
मुक्केबाजी में प्रमाणपत्र भी हासिल कर चुके हैं थॉमस
मीडिया से बात करते हुए थॉमस ने कहा, "मैं हमेशा से मुक्केबाजी करना चाहता था और अब मेरे पास लेवल 2 मुक्केबाजी प्रमाणपत्र भी है। हालांकि, मुक्केबाजी में शामिल होने से पहले मुझे लगता था कि मैं यह नहीं कर सकता हूं।"
उन्होंने आगे कहा कि मुक्केबाजी काफी करीबी वाला खेल है, इसलिए यह उनके पक्ष में है और इस मुकाबले में वह अपना 100 प्रतिशत देंगे।
मुकाबला
पूर्ण दृष्टि वाले विरोधी के साथ होगा थॉमस का मुकाबला
दृष्टि बाधित होने के बावजूद थॉमस का मुकाबला पूर्ण दृष्टि वाले विरोधी के साथ होगा।
इस पर थॉमस ने कहा, "यदि अंधे होने की वजह से विरोधी मेरे साथ नरम तरीके से पेश आएगा तो उसे इसका भुगतान करना पड़ेगा। मेरे पास नॉकआउट पंच हैं।"
बता दें कि थॉमस इस चैरिटी मुकाबले से यूनाइटेड किंगडम (UK) के कैंसर रिसर्च संगठन के लिए पैसे जुटाना चाहते हैं, इसलिए इसे जीतने के लिए वह पूरी तैयारी कर रहे हैं।
बयान
थॉमस के हो चुके हैं 60 से ज्यादा ऑपरेशन
थॉमस की मां केली सेरेस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "थॉमस के 60 से भी ज्यादा ऑपरेशन हो चुके हैं, लेकिन फिर भी वह इतनी मेहनत करता है। मुझे अपने बेटे पर बहुत गर्व है।"
उन्होंने कहा, "लगभग तीन या चार साल पहने पेट के कैंसर से उसके दादा की मृत्यु हो गई थी। थॉमस उनके बहुत करीब था और अब वह कैंसर रिसर्च के लिए जितना संभव हो सकता है, उतना पैसा जुटाने की कोशिश करता है।"