1992 विश्व कप फाइनल के दौरान अनोखे वायरस से संक्रमित थे पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी जावेद मियांदाद
पाकिस्तान ने 1992 में अपना पहला और इकलौता विश्व कप जीतने में सफलता हासिल की थी। पूर्व पाकिस्तानी बल्लेबाज जावेद मियांदाद ने विश्व कप जीतने के 28 साल पूरे होने पर पुरानी यादों को ताजा क
अपने शॉट्स नहीं खेल पा रहा था- मियांदाद
मियांदाद ने 1992 विश्व कप जीत को याद करते हुए कहा कि वह ऐसे वायरस की चपेट में थे जिससे उन्हें काफी पसीना हो रहा था और उनकी एनर्जी कम हो रही थी। उन्होंने कहा, "मैं काफी मुश्किल में था। मैं एक वायरल बीमारी से पीड़ित था जिसने मेरी रनिंग को प्रभावित किया था। यदि आपको कायदे से याद हो तो मैं पारी के अंत के समय में अपने शॉट्स को भी सही ढंग से नहीं खेल पा रहा था।"
डॉक्टर से बात करने के बावजूद कुछ समझ नहीं आ रहा था- मियांदाद
मियांदाद ने यह भी कहा कि डॉक्टर से सलाह लेने के बावजूद उन्हें यह नहीं समझ आ रहा था कि यह कैसा वायरस है। उन्होंने कहा, "मुझे यह नहीं समझ आ रहा था कि वास्तव में मेरी समस्या क्या है। मुझे किसी अनोखे वायरस का संक्रमण हुआ था जिसके कारण मुझे काफी ज़्यादा पसीना आ रहा था। मैं शॉट्स नहीं खेल पा रहा था और केवल वहां खड़ा था।"
मियांदाद और इमरान ने संभाली थी पाकिस्तान की लड़खड़ाती पारी
इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल के दौरान पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था। हालांकि, नौवें ओवर तक 24 के स्कोर पर दो विकेट गंवाने के बाद उनका यह फैसला गलत साबित होने लगा था। इसके बाद इमरान खान (72) और जावेद मियांदाद (58) ने तीसरे विकेट के लिए 139 रनों की साझेदारी करके पाकिस्तान की लड़खड़ाती पारी को संभाला। मियांदाद 40वें ओवर में 98 गेंदों का सामना करने के बाद पवेलियन लौटे थे।
अकरम ने दिलाई पाकिस्तान को जीत
पाकिस्तान ने 44वें ओवर तक चार विकेट के नुकसान पर 197 रन बनाए थे। इंजमाम उल हक (35 गेंद, 42 रन) और वसीम अकरम (18 गेंद, 33 रन) ने अंत में धुंआधार बल्लेबाजी करते हुए उन्हें 249 के अच्छे स्कोर तक पहुंचाया। गेंदबाजी के दौरान अकरम ने तीसरे ओवर में ही इयान बॉथम का विकेट लेकर इंग्लैंड को बड़ा झटका दिया। अकरम ने कुल तीन विकेट लिए और पाकिस्तान ने 22 रन से मुकाबला जीता था।