हॉकी विश्व कप: चंदा जुटाकर टूर्नामेंट में खेलने पहुंची है वेल्स की टीम, वैज्ञानिक-इंजीनियर हैं खिलाड़ी
क्या है खबर?
इस समय भारत में हॉकी विश्व कप खेला जा रहा है, जिसमें वेल्स की टीम पहली बार शिरकत कर रही है।
वेल्स की टीम की यहां तक पहुंचने की कहानी अनोखी रही है। अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए खिलाड़ियों को पैसे मिलते हैं जबकि वेल्स की कहानी कुछ अलग है।
दिलचस्प ये है कि वेल्स के खिलाड़ी अपनी जेब से पैसा खर्च करके हॉकी खेलते हैं।
आइए इस टीम की कहानी को जानते हैं।
जानकारी
कुछ वैज्ञानिक तो कुछ इंजीनियर हैं वेल्स के खिलाड़ी
वेल्स में हॉकी लोकप्रिय खेल नहीं हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां के सबसे बड़े हॉकी स्टेडियम की दर्शक क्षमता सिर्फ 200 है।
वेल्स की टीम में हिस्सा लेने वाले कुछ खिलाड़ी वैज्ञानिक तो कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
वेल्स के मुख्य कोच डेनियल न्यूकोम्बे ने बताया है कि टीम को विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए आर्थिक तौर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
क्राउड फंडिंग
क्राउड फंडिंग के जरिए हिस्सा ले रही है वेल्स की टीम
किसी भी खिलाड़ी को अपने देश से खेलने के लिए पैसे मिलते हैं। लेकिन इस मामले में वेल्स की कहानी अलग है। वेल्स के खिलाड़ी अपनी राष्ट्रीय टीम से खेलने के लिए हर साल 1,000 पाउंड (करीब एक लाख रुपये) देते हैं।
भारत में चल रहे विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए वेल्स की हॉकी टीम को क्राउड फंडिंग (चंदा से जुटायी गई राशि) का सहारा लेना पड़ा है।
बयान
सरकार से हमारी फंडिंग सीमित है- कोच न्यूकोम्बे
टीम के कोच न्यूकोम्बे ने हाल ही में समाचार एजेंसी PTI से कहा था, "क्राउड फंडिंग खिलाड़ियों की लागत को कम करने का तरीका है, जिसमें खिलाड़ी भी योगदान देते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी वेल्स से खेलने के लिए प्रति वर्ष 1,000 पाउंड का भुगतान करता है। सरकार से हमारी फंडिंग सीमित है और इसलिए खिलाड़ी भी योगदान देते हैं। हमें अब एक शर्ट प्रायोजक मिल गया है, जिससे अब खिलाड़ियों के ऊपर खर्च कम हो जाएगा।"
जानकारी
इकॉनमी क्लास में सफर करके भारत आई है वेल्स टीम
वेल्स के हॉकी खिलाड़ी रेनाल्ड कोटेरिल ने दैनिक जागरण को बताया कि उनकी टीम इस विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए इकॉनमी क्लास में सफर करके आई है।
उन्होंने बताया, "हमने भारत में खाने, पीने और रहने के लिए फंडिंग की हैं। हमें अपनी सरकार की ओर से कम पैसे मिलते हैं। यही कारण है कि हमने खुद पैसे खर्च किए हैं। हमें आशा है कि अब सरकार मदद करेगी।"
वैज्ञानिक
पेशेवर वैज्ञानिक हैं वेल्स के फॉरवर्ड प्रिटचार्ड जैक
वेल्स के फॉरवर्ड प्रिटचार्ड जैक पेशेवर वैज्ञानिक हैं। हालांकि, उन्हें हॉकी खेल सबसे ज्यादा पसंद है और वह इसके लिए अपने पेशे को भी छोड़ सकते हैं।
उन्होंने इस बारे में कहा, "हॉकी व पेशा में से किसी एक को चुनना होगा तो मैं हॉकी को चुनूंगा। मेरे देश में सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम भी भारत के मुकाबले बेहद छोटा है। उसकी दर्शक क्षमता मात्र 200 है।"
वेल्स बनाम भारत
19 जनवरी को भारत से भिड़ेगा वेल्स
वेल्स ने यूरोपीय क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के जरिए इस समय खेले जा रहे विश्व कप में अपना स्थान सुनिश्चित किया था।
वेल्स की टीम इस समय ग्रुप-D में आखिरी चौथे स्थान पर मौजूद है। वेल्स को अपने पहले मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 5-0 से शिकस्त मिली थी।
इसके बाद स्पेन ने 5-1 से उन्हें हराया था।
अब वेल्स का सामना 19 जनवरी को मेजबान भारतीय हॉकी टीम के खिलाफ भुवनेश्वर में होना है।