फ्रंट फुट नो-बॉल देखने की जिम्मेदारी जल्द ही टीवी अंपायर्स पर होगी
मैदानी अंपायर्स का फ्रंट फुट नो-बॉल चेक करना जल्द ही खत्म होने वाला है क्योंकि अब इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से थर्ड अंपायर को दी जाने वाली है। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए पहले टेस्ट के दौरान तीन निर्णय टीवी अंपायर के हस्तक्षेप के बाद बदले गए थे। इससे पहले टीवी अंपायर द्वारा नो-बॉल देने का ट्रॉयल किया जा चुका है। आइए जानते हैं पूरी खबर।
ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में नहीं होगा यह लागू
The Independent की एक रिपोर्ट के अनुसार महिला टी-20 विश्वकप में टीवी अंपायर को नो-बॉल चेक करने की जो जिम्मेदारी दी गई थी उसे इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के सभी मैचों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और इसमें मैदानी अंपायर ही नो-बॉल देखेंगे। खेलने के लिए परिस्थिति पर पहले ही सहमति बन गई थी और इसीलिए यथास्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।
टीवी अंपायर का नो-बॉल चेक करना ट्रॉयल में था
महिला टी-20 विश्वकप के दौरान टीवी अंपायर का नो-बॉल चेक करना काफी सफल रहा था। इसके बाद 12 वनडे मैचों में भी इसका ट्रॉयल लिया गया था। गौरतलब है कि ICC ने वर्ल्ड कप सुपर लीग के पहले संस्करण में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने को हरी झंडी दे दी है। दो साल चलने वाली वनडे प्रतियोगिता इस साल मई में शुरु होने वाली थी, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका।
मैदानी अंपायर्स की गलती पर लगातार उठ रहे हैं सवाल
मैदानी अंपायर्स पर करीबी नो-बॉल के निर्णय लेने में चूक करने पर सवाल उठ रहे थे। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच ब्रिसबेन में खेले गए टेस्ट में पाकिस्तानी गेंदबाजों के दो सेशन में फेंके 21 नो-बॉल को अंपायर पकड़ नहीं सके थे। सेवेन नेटवर्क ब्रॉडकास्ट द्वारा पिक्चर इकट्ठा कर लिए जाने के बाद इसका खुलासा हो सका था। 2008 में DRS आने के बाद से ही फ्रंट फुट नो-बॉल को थर्ड अंपायर चेक करने लगे हैं।
इस तरह काम करता है नो-बॉल चेक करने का सिस्टम
इस सिस्टम में टेलीविजन अंपायर फ्रंट फुट पर मॉनीटर के जरिए नजर रखता है जिसमें हॉकआई फ्रीज़फ्रेम और एक सुपर स्लो मोशल रीप्ले शामिल होता है। इसके बाद वह मैदान पर खड़े अंपायर को सिग्नल देता है कि गेंदबाज ने नो-बॉल फेंकी है। इसके बाद मैदानी अंपायर गेंद फेंकने के आठ सेकेंड बाद ही नो-बॉल का इशारा करता है। ऐसा तभी हो जाता है जब गेंदबाज दोबारा अपना मार्क नहीं ले सका होता है।