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2011 में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी छोड़ने पर बोले पोंटिंग, कही ये बात

2011 में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी छोड़ने पर बोले पोंटिंग, कही ये बात

लेखन Neeraj Pandey
Mar 24, 2020
05:29 pm

क्या है खबर?

दो बार ऑस्ट्रेलिया को अपनी कप्तानी में विश्व कप जिता चुके रिकी पोंटिंग ने 2011 में कप्तानी छोड़ने के बारे में खुलासा किया है। पोंटिंग ने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था और उनके अंडर टीम ने टेस्ट और वनडे दोनों में शानदार प्रदर्शन किया था। आइए जानते हैं कि पोंटिंग ने 2011 में कप्तानी छोड़ने के बारे में क्या कहा।

आंकड़े

पोंटिंग के अंडर ऑस्ट्रेलिया का ऐसा रहा था प्रदर्शन

पोंटिंग ने 77 टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की थी जिसमें से टीम ने 48 में जीत दर्ज की थी। वनडे की बात करें तो उन्होंने 228 वनडे में कप्तानी करते हुए अपनी टीम को 162 में जीत दिलाई दी थी। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 2003 और 2007 में विश्व कप खिताब पर अपना कब्जा जमाया था। 2011 विश्व कप सेमीफाइनल में हार झेलने के बाद पोंटिंग ने अपने मन से ही कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया था।

प्रतिक्रिया

कप्तानी छोड़ना मेरे लिए था दुखदायी- पोंटिंग

पोंटिंग ने Sky Sports से बात करते हुए कहा कि कप्तानी छोड़ना उनके लिए दुखदायी था, लेकिन उन्हें यह समझ आ गया था कि यह ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट के लिए सही समय है। उन्होंने आगे कहा, "मैं आने वाले कप्तान को आने वाले बड़े टूर्नामेंट के लिए उपयुक्त समय देना चाहता था। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि माइकल क्लार्क को आने वाले बड़े इवेंट के लिए सही समय मिले और वह बेस्ट कप्तान बने।"

कप्तानी छोड़ने का फैसला

मुझे लगा था कि यह सही समय है- पोंटिंग

पोंटिंग ने कहा कि उन्हें लग रहा था कि यह माइकल को हर मौका देना का सही समय था और साथ ही उन्होंने आने वाले एशेज को भी ध्यान में रखा। उन्होंने आगे कहा, "मैंने विश्व कप के क्वार्टरफाइनल में शतक लगाया था और मैं उसके बाद भी अच्छा खेल रहा था। जब मैंने कहा था कि मैं अभी भी खेलना चाहता हूं तो कुछ लोगों को इसेस परेशानी हुई थी।"

खेलते रहने का कारण

इस कारण पोंटिंग ने जारी रखा था खेलना

पोंटिंग ने यह भी बताया कि उन्होंने क्यों खेलते रखना जारी रखा था। उन्होंने कहा, "मेरे खेलते रहने का सबसे बड़ा कारण यह था कि उस समय कई युवा खिलाड़ी आ रहे थे और मैं यह सुनिश्चित करना चाह रहा था कि मैं वहां उनकी मदद करने के लिए मौजूद रहूं। भरोसा कीजिए कि मेरे लिए गेम में हासिल करने को कुछ नहीं बचा था और मैं केवल वहां ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की भलाई के लिए था।"