एक ही वनडे में बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ओपनिंग करने वाले भारतीय क्रिकेटर्स

क्रिकेट के खेल में बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की शुरुआत करने के लिए टीमें एक निश्चित जोड़ी बनाकर रखती हैं। दोनों ही विभागों में टीम को अच्छी शुरुआत की जरूरत होती है और इसी कारण वे इसके लिए विशेषज्ञ रखते हैं। हालांकि, कई बार कुछ अतिरिक्त करने के चक्कर में एक ही खिलाड़ी से गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों की शुरुआत करा दी गई है। एक नजर ऐसा करने वाले चार भारतीय क्रिकेटर्स पर।
पूर्व ऑलराउंडर रोजर बिन्नी वनडे में गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों की ओपनिंग करने वाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने दिसंबर 1980 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड सीरीज़ कप टूर्नामेट के मैच में बल्लेबाजी में ओपनिंग करते हुए 31 रन बनाए, लेकिन गेंदबाजी में उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। उसी टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही एक और मैच में उन्होंने ओपनिंग करते हुए 21 रन बनाए, लेकिन इस बार भी वह कोई विकेट हासिल नहीं कर सके।
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर वनडे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा 45 बार बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की शुरुआत करने वाले क्रिकेटर हैं। प्रभाकर ने अपने करियर में 130 वनडे मैचों में 1,858 रन बनाने के साथ 157 विकेट भी हासिल किए हैं। इनके बाद जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर नील जॉनसन ने दूसरे सबसे ज़्यादा 25 बार वनडे में बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की शुरुआत की है।
नवंबर 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंबई में खेले गए वनडे मैच में भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने वीरेन्द्र सहवाग को दूसरा ओवर फेंकने की जिम्मेदारी दी थी। मैच में सहवाग ने कुल चार ओवर फेंके जिसमें उन्होंने 28 रन खर्च किए और उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। बल्लेबाजी में ओपनिंग करने उतरे सहवाग पहली गेंद पर ही पगबाधा आउट हो गए और उनके लिए ओपनिंग निराशाजनक रही।
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान ने तेज गेंदबाज के रूप में शुरुआत की थी, लेकिन ग्रेग चैपल ने उनकी बल्लेबाजी पर काफी काम किया और उन्हें ऑलराउंडर बनाने की कोशिश की। 2005 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता में खेले गए मैच में पठान को गौतम गंभीर के साथ पारी की शुरुआत करने भेजा गया, लेकिन वह खाता खोले बिना आउट हो गए। गेंदबाजी में छह ओवर फेंकने वाले इरफान को कोई विकेट नहीं मिला था।