टी-20 लीग्स के लिए लगभग आधे खिलाड़ी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने को तैयार- सर्वे
विश्व क्रिकेट में काफी तेजी के साथ टी-20 फॉर्मेट का प्रचार-प्रसार हो रहा है। ऐसे में फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (FICA) के सर्वे में इसको लेकर अहम खुलासा हुआ है। आलम ये है कि दुनियाभर के लगभग आधे क्रिकेटर (49 प्रतिशत) कम समय में जल्दी पैसा कमाने यानी टी-20 लीग में खेलने के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट तक छोड़ने को तैयार बैठे हैं। आइये जानते हैं FICA सर्वे की रिपोर्ट में और क्या-क्या अहम खुलासे किए गए हैं।
सर्वे में भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी शामिल नहीं
FICA के इस सर्वे में 11 देशों के लगभग 400 क्रिकेटर्स से सवाल कर उनके विचार जानने का प्रयास किया गया। इस सर्वे में भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया गया है, इसकी वजह ये है कि इन दोनों का कोई ऐसा संगठन नहीं है जो इस संस्था के अन्तर्गत आता हो। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अपने खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के अलावा किसी अन्य लीग में खेलने की इजाजत नहीं देता।
क्रिकेट में तेजी से बढ़ रहा है 'फ्रीलांस एजेंट' का चलन
जैसे-जैसे टी-20 क्रिकेट लीग्स की लोकप्रियता बढ़ रही है क्रिकेट में 'फ्रीलांस एजेंट' का चलन भी बढ़ रहा है। 'फ्रीलांस एजेंट वे खिलाड़ी होते हैं जो राष्ट्रीय टीम से अनुबंधित नहीं होते और कहीं भी खेल सकते हैं। सर्वे के अनुसार, 82 प्रतिशत खिलाड़ी ऐसे हैं जो किसी एक कॉन्ट्रैक्ट में बंधे हुए नहीं रहना चाहते। वे एक साथ कमाई के विभिन्न स्त्रोत चाहते हैं। 49 प्रतिशत खिलाड़ी तो ज्यादा पैसा मिलने पर सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने तक तैयार हैं।
कम हो रहा है वनडे को लेकर क्रेज
सामान्य बात है कि किसी एक का फायदा होगा तो दूसरे का नुकसान तय करता है। टी-20 की लोकप्रियता का नुकसान वनडे क्रिकेट को उठाना पड़ रहा रहा है। सर्वे के मुताबिक, अब केवल 54 प्रतिशत क्रिकेटर्स को ही लगता है कि वनडे विश्व कप इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) का शीर्ष टूर्नामेंट है। 2018-19 में किए गए पिछले सर्वे में यही आंकड़ा 86 प्रतिशत का था। उम्मीद है कि आगामी दिनों में वनडे क्रिकेट में बड़े बदलवा देखने को मिले।
टेस्ट ही बेस्ट, लेकिन इसमें भी गिरावट जारी
सर्वे में 74 प्रतिशत क्रिकेटर्स ने टेस्ट क्रिकेट को सबसे महत्वपूर्ण फॉर्मेट माना है। हालांकि, पिछले सर्वे में टेस्ट क्रिकेट को चाहने वालों की संख्या 82 प्रतिशत थी, जिसमें आठ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
लगातार बढ़ रही है टी-20 मैचों की संख्या
कमाई और समय से लिहाज से अब अधिक से अधिक टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाने लगे हैं। 2021 में कुल 485 अंतराष्ट्रीय मुकाबलों में से 346 मैच तो टी-20 के ही थे, जिनका प्रतिशत 71 का बैठता है। वहीं इस दौरान 93 वनडे मैच खेले गए, जो कुल मैचों के 19 प्रतिशत रहे। इस दौरान सबसे कम टेस्ट मैच (46) खेले गए, जिनका प्रतिशत केवल 9 का ही रहा। इससे अंदाजा होता है कि टी-20 क्रिकेट की लोकप्रियता क्या है।
भारतीयों में ऋषभ पंत ने खेली सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
पिछले साल भारतीय खिलाड़ियों में विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत (75 दिन) सबसे अधिक दिन इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी रहे। इस सूची में पहले नंबर पर पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान (80 दिन) रहे। इंग्लैंड के जो रूट (78 दिन) सूची में तीसरे नंबर पर रहे। पिछले साल कुल 485 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले गए। वहीं कोविड काल के दौरान 2020 में 290 मैच खेले गए। ICC रैंक में टॉप नौ टीमों ने पिछले साल औसत 81.5 दिन क्रिकेट खेली।
वनडे से नाता तोड़ रहे हैं क्रिकेटर्स
तमाम टी-20 लीग्स के कारण अब खिलाड़ियों का नजरिया बदला है और कई खिलाड़ी देश से आगे इन लीग्स को वरीयता में रखने लगे हैं। खिलाड़ियों को लीग्स में अच्छा पैसा मिल जाता है, जिसके चलते कई खिलाड़ी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ रहे हैं और कुछ तो संन्यास तक ले रहे हैं। इंग्लिश ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने इसी साल जुलाई में वनडे से संन्यास ले लिया था। क्विंटन डिकॉक 29 साल की उम्र में टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं।
बोल्ट और नीशम ठुकरा चुके हैं सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट
इसी साल अगस्त में कीवी तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने टी-20 लीग में हिस्सा लेने के चलते सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर होने का विकल्प चुना था। इसी तरह ऑलराउंडर कॉलिन डी ग्रैंडहोमे ने बिग बैश लीग (BBL) फ्रेंचाइजी की टीम एडिलेड स्ट्राइकर्स (AS) के साथ अनुबंध करने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। वहीं जेम्स नीशम ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को ठुकरा दिया था, जबकि मार्टिन गुप्टिल को कॉन्ट्रैक्ट से रिलीज किया गया था।