कैसे बनाई जाती है क्रिकेट पिच? जानिए इसके प्रकार और अन्य अहम बातें
इंग्लैंड टीम का भारतीय दौरा पिछले महीने शुरु हुआ था और अब तक तीन टेस्ट खेले जा चुके हैं। पहला टेस्ट इंग्लैंड और अगले दो टेस्ट भारत ने जीते हैं। भारत द्वारा जीते गए दोनों टेस्टों की पिचों को लेकर खूब बयानबाजी की गई। खास तौर से डे-नाइट टेस्ट का आयोजन करने वाली मोटेरा की पिच को लेकर अब तक बयानबाजी हो रही है। आइए एक नजर डालते हैं क्रिकेट पिच से जुड़ी हर अहम चीज पर।
पिच बनाने में केवल क्यूरेटर का होता है योगदान
यह बात सबको पता है कि होम टीम को लाभ मिलता है, लेकिन वे मनमाने तरीके से पिच नहीं बनवा सकते हैं। होम टीम का कप्तान केवल क्यूरेटर से पूछ सकता है कि वह किस तरह की पिच बना रहे हैं। होम बोर्ड जरूर क्यूरेटर को पिच बनाने के लिए कुछ गाइडलाइंस देता है और इन्हीं के आधार पर पिच का निर्माण किया जाता है। फॉर्मेट के हिसाब से क्यूरेटर पिच बनाते हैं।
मुख्य रूप से इन चार पिचों का किया जाता है इस्तेमाल
क्रिकेट में आम तौर चार तरह की पिचों का इस्तेमाल किया जाता है। फ्लैट, हार्ड, रैंक टर्नर और ग्रीन टॉप के नाम से इन पिचों को जाना जाता है। फ्लैट और हार्ड पिचों पर बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए अच्छा प्रदर्शन करने का मौका होता है। हालांकि, रैंक टर्नर और ग्रीन टॉप में गेंदबाजों को अधिक लाभ मिलता है। टर्नर में स्पिनर्स और ग्रीन टॉप में तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है।
पिच बनाने के लिए खोदा जाता है तीन फीट का गड्ढा
पिच बनाने के लिए पहले तीन फीट का गड्ढा खोदा जाता है और फिर उसमें पत्थर के टुकड़े और कोयले को नीचे बेस बनाने के लिए डाला जाता है। बेस मजबूत हो इसके लिए लगातार भारी रोलर चलाया जाता है। नीचे की सतह मजबूत बनाने के लिए काली और लाल मिट्टी के अलावा मोरंग का भी इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य पिच पर घास, लाल या काली मिट्टी मैच और परिस्थिति के अनुसार लगाई जाती है।
एक अच्छी क्रिकेट पिच बनाने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं ये चीजें
एक अच्छी क्रिकेट पिच बनाने के लिए कई सारी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी पिच में लाल मिट्टी की मात्रा 50 प्रतिशत से अधिक रखी जाती है। इसके अलावा इसमें 20 प्रतिशत से कम हिस्सा रेतीली मिट्टी की रखी जाती है। मोरंग को भी 20 प्रतिशत से कम मात्रा में रखा जाता है। मोरंग के कणों को पांच प्रतिशत से कम मात्रा में रखा जाता है। पिच का pH वैल्यू 630 से 730 के बीच रखा जाता है।
लाल और काली मिट्टी की पिचों में होते हैं ये अंतर
लाल मिट्टी और काली मिट्टी की पिचों में काफी अंतर होता है। लाल मिट्टी की पिच फैलती है तो वहीं काली मिट्टी की पिच फैलती नहीं और अधिक समय तक चलती है। काली मिट्टी की पिच अधिक पानी सोखती है जिससे इसमें नमी बनी रहती है और लाल मिट्टी की पिच कम पानी सोखती है जिससे कि यह जल्दी सूख जाती है। काली मिट्टी की पिच में दरार कम होती है तो वहीं लाल मिट्टी में काफी दरार पड़ती है।