IPL नीलामी: खिलाड़ियों की पेमेंट से लेकर RTM तक सभी अहम नियमों की जानकारी

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के आगामी सीजन के लिए नीलामी होने वाली है। 590 खिलाड़ियों का नाम नीलामी के लिए फाइनल किया गया है। इनमें से लगभग आधे खिलाड़ियों को कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा। IPL नीलामी के लिए कई सारे नियम बनाए गए हैं और सभी लोग इनके बारे में जानने की इच्छा रखते हैं। आइए जानते हैं खिलाड़ियों की पेमेंट से लेकर RTM तक नीलामी से जुड़े तमाम अहम नियम और इनका महत्व।
नीलामी के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए खिलाड़ियों को तीन मुख्य वर्गों में बांटा जाता है। इसमें भारतीय कैप्ड और अनकैप्ड खिलाड़ियों के अलावा विदेशी खिलाड़ियों का वर्ग होता है। इसके बाद खिलाड़ियों को उनकी विशेषता के आधार पर अलग-अलग वर्गों में रखा जाता है। जिन 10 खिलाड़ियों को मार्की चुना जाता है उन्हें सबसे पहले नीलामी में लाया जाता है और उन्हीं के साथ नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होती है।
बेस प्राइस वह कीमत है जो खिलाड़ी खुद अपने लिए तय करता है। किसी भी खिलाड़ी के लिए बोली उसकी बेस प्राइस से ही शुरु होती है। उदाहरण के लिए यदि किसी खिलाड़ी की बेस प्राइस एक करोड़ रुपये है तो वह इससे कम की कीमत में नहीं खरीदा जा सकेगा। खिलाड़ी अपने घरेलू बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ अपनी बेस प्राइस BCCI के पास जमा करते हैं।
नीलामी के दौरान जिन खिलाड़ियों को खरीदार नहीं मिलता है उन्हें अनसोल्ड कहा जाता है। फ्रेंचाइजियां चाहें तो अनसोल्ड रहे खिलाड़ियों को दोबारा एक्सीलरेटेड राउंड के लिए बुला सकती है और यहां खिलाड़ी बिक भी सकते हैं। इसके अलावा फ्रेंचाइजियों ऐसे खिलाड़ियों को रिप्लेसमेंट के तौर पर भी साइन कर सकती हैं। यदि टूर्नामेंट शुरु होने के बाद किसी टीम का कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो उनकी जगह ऐसे खिलाड़ियों को लाया जा सकता है।
RTM का मतलब है राइट टू मैच। इसका इस्तेमाल फ्रेंचाइजी अपने पुराने खिलाड़ी को वापस लाने के लिए कर सकती है। उदाहरण के लिए किसी टीम ने जिस खिलाड़ी को रिलीज किया था वह नीलामी में बिक रहा है तो वह टीम RTM इस्तेमाल करके बोली को मैच करेगी और खिलाड़ी को अपने पास ले आएगी। वर्तमान सीजन की नीलामी के लिए RTM का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।
खिलाड़ियों को कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद पेमेंट अलग-अलग तरीके से की जाती है। यदि खिलाड़ी पूरे सीजन के लिए उपलब्ध रहता है तो उसे पूरी पेमेंट मिलेगी। इस बात से मतलब नहीं होगा कि उसने कोई मैच खेला है अथवा नहीं। कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद खिलाड़ी सीजन में हिस्सा नहीं ले पाता है तो उसे कोई पेमेंट नहीं मिलेगी। कुछ मैचों के लिए उपलब्ध रहने वाले खिलाड़ियों को कॉन्ट्रैक्ट का 10 प्रतिशत और प्रति-मैच के हिसाब से पेमेंट मिलता है।
फ्रेंचाइजियों को सीजन के बीच में खिलाड़ियों की अदला-बदली करने का मौका मिलता है। पहले यह केवल अनकैप्ड खिलाड़ियों के लिए था, लेकिन अब कैप्ड खिलाड़ियों का भी ट्रांसफर किया जाता है। ट्रांसफर के लिए खिलाड़ी को अपनी वर्तमान टीम के लिए दो से अधिक मैच नहीं खेले होने चाहिए। सीजन के आधे मैच समाप्त होने के बाद ट्रांसफर विंडो खोला जाता है और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान होता है।