अंतरिक्ष नीति 2023 क्या है? निजी क्षेत्रों को अंतरिक्ष अभियानों से जोड़ने का प्रयास हुआ तेज
नई भारतीय अंतरिक्ष नीति जारी की गई है। इस नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को संस्थागत बनाने और ISRO का ध्यान नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास पर केंद्रित करना है। भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 को 6 अप्रैल को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। सरकार ने 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की, जिसमें निजी संगठनों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
ISRO का बोझ हल्का करने की तैयारी
इस नीति से ISRO, अंतरिक्ष क्षेत्र के PSU न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) तथा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया गया है। अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी रणनीतिक गतिविधियों का संचालन NSIL द्वारा मांग आधारित मोड पर किया जाएगा। IN-SPACe का काम ISRO और गैर-सरकारी संस्थाओं के बीच इंटरफेस का होगा। ISRO के मिशनों के परिचालन की ज़िम्मेदारी न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड को दी जाएगी।
नई नीति में शामिल हैं ये गतिविधियां
इस नीति से अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भूमिका को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसमें उपग्रह निर्माण, रॉकेट और लॉन्च व्हीकल, डाटा संग्रह और डाटा प्रसार शामिल है। निजी क्षेत्र काफी कम शुल्क पर ISRO की सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे। इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में नए स्टार्टअप भी आएंगे और इस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। बता दें, ISRO विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसकी सफलता दर अच्छी है।
ISRO की सेवाओं को किसी भी स्त्रोत से पा सकते हैं निजी उपभोक्ता
नई नीति में कहा गया है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी या सेवाओं जैसे संचार, रिमोट सेंसिंग, डाटा सेवाओं और लॉन्च सेवाओं आदि को निजी या सार्वजनिक भारतीय उपभोक्ता किसी भी स्त्रोत से सीधे प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। ये नीति गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) को अंतरिक्ष ऑपरेशन के लिए जमीनी सुविधाएं और कंट्रोल सेंटर स्थापित करने और ऑपरेट करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नीति के तहत विभिन्न ऑर्गनाइजेशन को अंतरिक्ष ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
अंतरिक्ष से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधि बढ़ाने का प्रयास
नीति का उद्देश्य है कि NGEs अंतरिक्ष से जुड़े व्यावसायिक गतिविधि के प्रयासों को बढ़ाने में मदद करें। गौरतलब है कि इंटरनेट सेवाओं जैसे स्टारलिंक-स्पेस-X और अंतरिक्ष पर्यटन के लिये निजी उपग्रह अभियानों के विकास के कारण बाह्य अंतरिक्ष का व्यवसायीकरण तेजी से हो रहा है। अगर भारत ने प्रयास नही किए और कोई नियामक ढांचा स्थापित नहीं किया जाता है, तो बढ़ते व्यावसायीकरण से भविष्य में किसी एक का एकाधिकार स्थापित हो सकता है।
इन चीजों पर होगा ISRO का ध्यान
नई नीति का उद्देश्य है कि इसरो ऑपरेशनल स्पेस सिस्टम के निर्माण में अपनी उपस्थिति से बाहर हो जाए। साथ ही ISRO को मिशन शुरू करने और चालक दल के अभियानों की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। नीति में जोर दिया गया है कि ISRO को उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। ISRO से नए सिस्टम आने, अंतरिक्ष परिवहन, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, मानव अंतरिक्ष उड़ान में बढ़त बनाए रखने की उम्मीद है।