ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन में क्या होता है अंतर? यहां जानिए
ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन को कई बार एक दूसरे के जगह पर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह दोनों चीज एक दूसरे से थोड़े अलग हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग विशेष रूप से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के निर्माण के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि को बताता है। असल में ग्लोबल वॉर्मिंग जलवायु परिवर्तन का ही एक हिस्सा है, जो हमारे ग्रह पर होने वाले बदलावों के बारे में बताता है।
जलवायु परिवर्तन क्या है?
जलवायु परिवर्तन समय के साथ पृथ्वी की जलवायु में होने वाली सभी परिवर्तनों की एक श्रृंखला है। इसी श्रृंखला में ग्लोबल वॉर्मिंग का नाम भी शामिल है। जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न, बारिश, तूफान, सूखा और बाढ़ जैसे कई मौसम की घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इसमें समुद्री धाराओं में बदलाव, पारिस्थितिकी तंत्र और वन्यजीव आबादी में परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ना भी शामिल है।
ग्लोबल वॉर्मिंग कैसे बढ़ रही?
ग्लोबल वॉर्मिंग पृथ्वी की सतह के तापमान में वृद्धि को कहा जाता और यह मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) को जलाने, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी गतिविधियों से बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने देखा है कि औद्योगिक काल से पहले से पृथ्वी का औसत तापमान अब लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। पृथ्वी की सतह के तापमान बढ़ने से फूल और पौधे के विकास के समय में भी बदलाव हो रहा है।