
चंद्रयान के बाद अब समुद्रयान मिशन क्या है और इसे कैसे अंजाम दिया जाएगा?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष में चंद्रयान-3 के जरिए अपनी धाक जमाने के बाद भारत अब समुद्र की गहराई में भी पैठ जमाने की तैयारी में है। इसके लिए समुद्रयान मिशन लॉन्च किया जाएगा।
समुद्रयान मिशन के जरिए भारत 6 किलोमीटर गहरे समुद्र के पानी का पता लगाने के लिए एक रोमांचक यात्रा की तैयारी कर रहा है।
इस मिशन को अत्याधुनिक सबमर्सिबल (पनडुब्बी) मत्स्य 6000 के जरिए अंजाम दिया जाएगा।
जान लेते हैं इस मिशन से जुड़ी और अधिक जानकारी।
उद्देश्य
समुद्री संसाधनों के जरिए आर्थिक वृद्धि का अवसर
समुद्रयान मिशन का उद्देश्य समुद्र की गहराई में मौजूद संसाधनों का अध्ययन और समुद्री जैव विविधता का आकलन करना है। इसके अलावा इस मिशन के जरिए आर्थिक वृद्धि करना भी है।
भू विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार, मिशन का लक्ष्य "ब्लू इकोनॉमी" का समर्थन करना है।
इस आगामी समुद्रयान मिशन के जरिए भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए समुद्री संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
मंत्री
पनडुब्बी में भेजे जाएंगे 3 लोग
रिजिजू ने इस मिशन के बारे में एक्स पर पोस्ट किया था कि भारत के पहले मानवयुक्त गहरे महासागर मिशन समुद्रयान के तहत एक पनडुब्बी में 6 किलोमीटर समुद्र की गहराई में 3 लोगों को भेजने की योजना है।
उन्होंने यह भी कहा था कि यह परियोजना नाजुक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए किसी भी तरह की मुश्किल नहीं पैदा करेगी।
इस परियोजना के जरिए देश महासागरों की गहराई में ऐतिहासिक छाप छोड़ने के लिए तैयार है।
बजट
ये है पनडुब्बी की खासियत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना की लागत करीब 4,100 करोड़ रुपये है। मिशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाले पनडुब्बी मत्स्य 6000 टाइटेनियम धातु से बनी है।
यह 6,000 मीटर यानी 6 किलोमीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना अधिक यानी 600 बार (दाब मापने की इकाई) प्रेशर झेलने में सक्षम होगी।
पनडुब्बी का व्यास 2.1 मीटर है। इसके जरिए 3 लोगों को 12 घंटे के लिए समुद्र की गहराई में भेजा जाएगा।
परीक्षण
वर्ष 2026 में लॉन्च किया जा सकता है मिशन
वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही तक पनडुब्बी के परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। परीक्षण के लिए इसे चेन्नई तट से बंगाल की खाड़ी में छोड़ा जाएगा। मिशन को 2026 में लॉन्च किया जाएगा।
इसके जरिए समुद्र तल से 6 किलोमीटर नीचे कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज जैसी बहुमूल्य धातुओं के साथ ही विभिन्न गैसों की खोज की जाएगी। ये सभी खनिज 1,000 से 5,500 मीटर तक की गहराई में मिलती हैं।