रूस के चांद मिशन लूना-25 के फेल होने की क्या रही वजह?
क्या है खबर?
रूस के चांद मिशन लूना-25 के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर 20 अगस्त, 2023 को सामने आई।
बताया गया कि यान का लैंडर नष्ट हो गया है। इसके बाद यह मिशन फेल हो गया। अब लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह सामने आई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने कहा कि लूना-25 का इंजन समय पर बंद नहीं हुआ और यह अपेक्षा से अधिक समय तक काम करता रहा।
इंजन
127 सेकेंड तक काम करता रहा इंजन
रूसी समाचार एजेंसी RIA नोवोस्ती की रिपोर्ट के अनुसार, बोरिसोव ने कहा कि दुर्भाग्य से इंजन शटडाउन सामान्य रूप से नहीं हुआ। यह 84 सेकेंड की बजाय 127 सेकेंड तक काम करता रहा। उन्होंने कहा कि यही वजह दुर्घटना का मुख्य कारण थी।
रोस्कोस्मोस ने पहले एक बयान में कहा था कि जैसे ही इसे लैंडिंग से पहले के प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में उतारा गया, वहां यह कैलकुलेटेड वैल्यू से भटक गया और चांद पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
रूस
47 साल बाद चांद उतरने का रूस का था पहला प्रयास
लूना-25 आधुनिक रूस द्वारा चांद पर अंतरिक्ष यान उतारने का पहला प्रयास था।
तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा वर्ष 1976 में लॉन्च किए गए लूना-24 के 47 साल बाद पहली बार रूस की तरफ से चांद पर मिशन भेजा गया था।
इस मिशन का फेल होना रूस की अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक बड़ा झटका है।
इससे पहले वर्ष 1966 से 1976 के बीच सोवियत संघ ने चांद पर 9 सफल लैंडिंग की हैं।
टेक्नोलॉजी
चांद कार्यक्रमों के लिए फिर से हासिल करनी होगी टेक्नोलॉजी- बोरिसोव
बोरिसोव ने कहा कि 1960 और 1970 के दशक का अनुभव अब व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, "50 वर्षों तक चांद कार्यक्रमों में रुकावट होने के कारण हमें टेक्नोलॉजी में फिर से महारत हासिल करनी होगी।"
जून में बोरिसोव ने लूना-25 मिशन को हाई रिस्क वाला बताते हुए इस मिशन के सफल होने की 70 फीसदी संभावना जताई थी।
बता दें कि इस मिशन को 11 अगस्त को मॉस्को से लॉन्च किया गया था।
चांद
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होनी थी लैंडिंग
लूना-25 की लॉन्चिंग के वक्त रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इतिहास में पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होगी। उनके मुताबिक, अभी तक हर कोई भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतरता रहा है।
हालांकि, अब लूना-25 मिशन के फेल होने के बाद भारत के पास यह उपलब्धि हासिल करने का मौका है।
23 अगस्त, 2023 को भारत का चांद मिशन चंद्रयान-3 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग का प्रयास करेगा।