स्पेस-X के सबसे बड़े रॉकेट स्टारशिप में लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद विस्फोट, नहीं पहुंचा ऑर्बिट
स्पेस-X ने दुनिया के सबसे बड़े रॉकेट को स्टारशिप के साथ आज (20 अप्रैल) को भारतीय समयानुसार शाम 7 बजकर 3 मिनट पर टेक्सास से टेस्ट फ्लाइट के लिए लॉन्च कर दिया था। लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद इसमें विस्फोट हो गया और ये ऑर्बिट नहीं पहुंच पाया। स्पेस-X के स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और इस बड़े रॉकेट को मिलाकर इन्हें स्टारशिप नाम दिया गया है। ये 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाने में सक्षम था।
विस्फोट के बाद एलन मस्क और स्पेस-X की प्रतिक्रिया
स्टारशिप में विस्फोट के बाद इसे बनाने और लॉन्च करने वाली अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X के मुखिया एलन मस्क ने ट्वीट कर कहा कि अगला स्टारशिप परीक्षण कुछ महीनों बाद होगा। अलगे टेस्ट लॉन्च के लिए स्टारशिप से बहुत कुछ सीख मिली। स्पेस-X ने ट्वीट कर कहा, "हम जो सीखते हैं उसी से सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप में सुधार करने और इसे विश्वसनीय बनाने में मदद करेगा।"
एलन मस्क 2029 तक मंगल पर बसाना चाहते हैं इंसानों की कॉलोनी
स्पेस-X के स्टारशिप को पहले 17 अप्रैल को भारतीय समयानुसर शाम 6 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाना था, लेकिन कुछ खराबी के चलते इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी। ये स्टारशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में सक्षम होगा। रॉकेट में 33 रैप्टर इंजन दिए गए थे और स्टारशिप में 6 इंजन थे। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं।
स्टारशिप में होते हैं 2 भाग
स्टारशिप में 2 भाग थे। एक सुपर हेवी बूस्टर यानी एक विशाल रॉकेट और इसका दूसरा हिस्सा स्टारशिप अंतरिक्ष यान था। ये अंतरिक्ष यान बूस्टर के ऊपर स्थित होता है और मिशन को पूरा करने के लिए बूस्टर द्वारा अपना ईंधन खर्च करने के बाद अलग होने के लिए डिजाइन किया गया था। स्टारशिप को वर्तमान फाल्कन रॉकेट की तुलना में पेलोड को दूर तक और कम लागत में लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया था।
नासा आर्टिमिस 3 मिशन के लिए करेगी स्टारशिप का उपयोग
नासा ने स्टारशिप को मून लैंडर के रूप में चुना है और 2025 में अंतरिक्ष यात्री आर्टिमिस 3 मिशन पर इसका उपयोग करेंगे। स्टारशिप कई सैटेलाइट, बड़े स्पेस टेलीस्कोप और कार्गो को पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे ले जाने के लिए बनाया गया था। पूरी तरह से रियूजेबल स्टारशिप सिस्टम ऑन-ऑर्बिट प्रोपेलेंट ट्रांसफर का इस्तेमाल करता है ताकि 100 से ज्यादा लोगों को मंगल या अन्य ग्रहों तक पहुंचाया जा सके।
सफल होता तो ऐसे काम करता सिस्टम
सुपर हैवी बूस्टर यानी कि सबसे बड़े रॉकेट के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया गया था। बूस्टर अपना काम समाप्त होने के बाद अलग होकर पृथ्वी पर लौट आता। पृथ्वी से एक रिफ्यूलिंग टैंकर लॉन्च होगा और ये टैंक ऑर्बिट में स्टारशिप से डॉक होता। ये टैंकर भी फ्यूल भरने के बाद पृथ्वी पर लौट आता। स्टारशिप ऑर्बिट से मंगल की तरफ बढ़कर वहां लैंड कर जाता। स्टारशिप के जरिए मस्क स्पेस टूरिज्म को भी विकसित करना चाहते हैं।