वैज्ञानिकों ने पहली बार फ्रोजन-ड्राइड स्किन सेल्स से बनाया क्लोन चूहा, नाम दिया 'डोरेमी'
क्या है खबर?
जहां ढेरों प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, जापान में वैज्ञानिकों की टीम ने जमाई गईं ड्राई स्किन सेल्स की मदद से दुनिया का पहला क्लोन चूहा तैयार किया है।
क्लोनिंग से जुड़ी टेक्नोलॉजी नई नहीं है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी जीव को जमाईं गईं ड्राई स्किन सेल्स से बनाया गया है।
नए तरीके के साथ मौजूदा बायोबैंकिंग तरीके में आने वाले चुनौतियों से निपटा जा सकेगा।
यह प्रयोग जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी में किया गया।
क्लोनिंग
चूहों की पूंछ से ली गईं सेल्स का इस्तेमाल
सबसे पहले वैज्ञानिकों ने चूहों की पूंछ से मिलीं ड्राइड स्किन सेल्स (सूखी त्वचा कोशिकाएं) इकट्ठा कीं और उन्हें नौ महीने के लिए जमा दिया।
फ्रीज-ड्राइंग सेल्स मेथड से कोशिकाएं मर जाती हैं, लेकिन रिसर्चर्स ने पाया कि वे इन सेल्स को माउस एग्स में डालकर न्यूक्ली हटाते हुए अर्ली-स्टेज क्लोन्ड इंब्रायोज (ब्लास्टोसिस्ट्स) बना सकते हैं।
बाद में इन ब्लास्टोसिस्ट्स का इस्तेमाल इंब्रायोज बनाने और क्लोनिंग के लिए किया गया। इन इंब्रायोज को सरोगेट चुहिया के गर्भ में पहुंचाया गया।
जानकारी
डोरेमी रखा गया पहले क्लोन्ड चूहे का नाम
रिसर्सर्च ने पहले क्लोन्ड चूहे का नाम डोरेमी रखा है, जो लोकप्रिय मांगा कार्टून सीरीज डोरेमॉन का एक किरदार है। डोरामी के बाद 74 अन्य क्लोन चूहे तैयार किए गए और उनपर प्रजनन से जुड़े प्रयोग किए गए।
चुनौती
विलुप्त होने की कगार पर लाखों प्रजातियां
यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में बताया है कि कम से कम 10 लाख जीव प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।
वैज्ञानिक लगातार ऐसे तरीकों की खोज कर रहे हैं, जिनसे विलुप्तप्राय जीवों को बचाकर रखा जा सके।
फ्रीज-ड्राइड स्किन सेल्स की मदद से क्लोनिंग का जापान के रिसर्चर्स का प्रयोग ऐसे में बड़ा कदम हो सकता है।
माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया के साथ प्रजातियों में जैव-विविधता भी बेहतर की जा सकेगी।
मौजूदा तरीका
विलुप्तप्राय जीवों के क्रायोप्रिजर्वेशन में हैं खामियां
इंसानी हस्तक्षेप की वजह से जीवों के विलुप्त होने की स्थिति बड़ा मुद्दा बन रही है और दुनियाभर में विलुप्तप्राय जीवों को सुरक्षित रखने की कोशिशें की जा रही हैं।
हालांकि, अभी लिक्विड नाइट्रोजन में क्रायोप्रिजर्वेशन या बेहद कम तापमान पर डीप फ्रीजिंग की मदद से सैंपल्स सुरक्षित रखे जाते हैं।
यह तरीका ना सिर्फ महंगा है, बल्कि इसमें पावर खत्म होने का खतरा भी है। साथ ही इसमें स्पर्म और एग सेल्स दोनों शामिल रहते हैं।
जानकारी
सस्ता है फ्रीज-ड्राइड सेल्स से जुड़ा तरीका
फ्रीज-ड्राइड स्किन सेल्स की मदद से विलुप्त होने की कगार पर खड़े जीवों की बायोबैंकिंग का तरीका सस्ता है। यह स्पर्म या एग सेल्स के बजाय स्किन सेल्स इस्तेमाल करता है, जिससे ज्यादा उम्र वाले या प्रजनन में अक्षम जीव को क्लोन किया जा सकेगा।
चिंता
फ्रीज-ड्राइंग स्किन सेल्स तरीका भी नाकाफी
नया फ्रीज-ड्राइंग स्किन सेल्स तरीका भी पूरी तरह कारगर नहीं है।
फ्रीज-ड्राइंग के चलते स्किन सेल्स के DNA को नुकसान पहुंचता है।
दूसरी परेशानी यह है कि स्वस्थ नर और मादा जीव बनाने में मिलने वाली सफलता की दर केवल 0.2 प्रतिशत से 5.4 प्रतिशत के बीच देखने को मिली।
कई मामलों में Y-क्रोमोसोम खो चुका था, जिसके चलते मादा चुहिया का जन्म अन्य नरों से लिए गए सेल्स की मदद से करवाना पड़ा।