ऑनलाइन गेमिंग के दौरान याद रखें ये टिप्स, साइबर हमलों के खतरे से ना रहें अनजान
ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है और बच्चों से लेकर बड़े तक अब इंटरनेट पर गेमिंग कर रहे हैं। गेमिंग के कई फायदे हैं और वक्त बिताने के अलावा दोस्तों और नए लोगों से जुड़ने का भी यह नया जरिया बन रहा है। हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग के दौरान साइबर हमलों जैसे खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप सुरक्षित ढंग से ऑनलाइन गेमिंग कर सकते हैं।
बुलीइंग, स्कैम्स और यौन उत्पीड़न जैसे खतरे
गेमिंग के दौरान ऑनलाइन मिलने वाले यूजर्स की पहचान तब तक छुपी रहती है, जब तक वे वेबकैम इस्तेमाल नहीं करते। ज्यादातर गेम्स में केवल वॉइस चैटिंग का विकल्प मिलता है, जिससे सामने वाले के बारे में कुछ पता लगाना आसान नहीं होता। इस तरह के अजनबी स्कैमिंग से लेकर ऑनलाइन बुलीइंग और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को अंजाम दे सकते हैं। गेमिंग करने वालों में किशोरों के ज्यादा होने के चलते कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
भरोसा जीतने की कोशिश करते हैं स्कैमर्स
ऑनलाइन गेमिंग के दौरान नए लोगों को स्क्वॉड का हिस्सा बनाने और उनके साथ मैच में उतरने का मौका मिलता है। गेमिंग के दौरान नए लोगों को अपनी फ्रेंडलिस्ट में भी शामिल किया जा सकता है। स्कैमर्स या अटैकर्स अक्सर इस दौरान भरोसा जीतने की कोशिश करते हैं। जरूरी है कि किसी भी नए ऑनलाइन दोस्त को अपने बारे में ज्यादा जानकारी ना दी जाए और उसपर भरोसा करने से बचा जाए।
न्यूजबाइट्स प्लस
NetSmartz.org की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 से 17 साल की उम्र वाले करीब 97 प्रतिशत किशोर कंप्यूटर, ऑनलाइन, पोर्टेबल या कंसोल गेम्स खेलते हैं। इनमें से 27 प्रतिशत उनके साथ गेमिंग करते हैं, जिनसे वे ऑनलाइन मिले हैं।
प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं कई अकाउंट्स
कुछ गेमर्स अभद्र बातें करने या दूसरों को परेशान करने के मकसद से ही उनके स्क्वॉड में जाते हैं। ऐसे अकाउंट्स को तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए और लगभग सभी गेम्स किसी प्लेयर को रिपोर्ट करने का विकल्प देते हैं। गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और मल्टी-प्लेयर गेम्स बुलीइंग को गंभीरता से लेते हैं और ऐसा करने वाले अकाउंट्स को बैन करने जैसी कार्रवाई की जाती है। उन्हीं के साथ गेमिंग करें, जिन्हें आप पहले से जानते हों या फिर जिनके साथ सहज हों।
अनजान फाइल डाउनलोड करना पड़ेगा भारी
गेमिंग के दौरान अतिरिक्त फायदा पाने के लिए थर्ड-पार्टी टूल्स की मदद लेना गलत है और ऐसा करने से बचना चाहिए। गेम डिवेलपर्स खुद तो ऐसे टूल्स इस्तेमाल करने वालों को बैन करते ही हैं, इनकी मदद से आपका डिवाइस भी हैक किया जा सकता है। साथ ही केवल भरोसेमंद सोर्स से ही गेम्स डाउनलोड करने की सलाह दी जाती है। अनजान फाइल्स या सोर्स से किए गए डाउनलोड्स आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पैरेंटल कंट्रोल्स इस्तेमाल कर सकते हैं अभिभावक
अगर आप उन लोगों में से हैं, जिनके बच्चे दिनभर ऑनलाइन गेमिंग करते हैं तो पैरेंटल कंट्रोल्स की मदद ली जा सकती है। गेम सेटिंग्स में 'प्रोफैनिटी फिल्टर' जैसा विकल्प मिलने पर इसे इनेबल किया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम्स में भी फैमिली सेफ्टी सेटिंग्स मिलती हैं, जिनके साथ यूजर्स की सुरक्षा तय की जा सकती है। लंबे वक्त तक ऑनलाइन गेमिंग करने से बचना भी महत्वपूर्ण है।