डिवाइस रिपेयर करवाने के मुकाबले नया खरीदना बेहतर समझते हैं करीब आधे यूजर्स- सर्वे
क्या है खबर?
पुराना स्मार्टफोन खराब होने पर रिपेयर करवाने के बजाय आप नया डिवाइस खरीदने का मन बनाते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं।
नई सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि करीब 38 प्रतिशत लोगों के पास लैपटॉप्स और मोबाइल जैसे कम से कम तीन खराब गैजेट्स हैं, जिन्हें रिपेयर करवाना चाहिए।
हालांकि, इनमें से करीब आधे लोग मानते हैं कि डिवाइस को रिपेयर करवाने पर ज्यादा खर्च आएगा।
रिपोर्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स की ओर से शेयर की गई है।
रिपोर्ट
करीब आधे लोगों ने खरीद लिया नया डिवाइस
लोकल सर्कल्स की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में करीब 47 प्रतिशत लोगों ने पुराने डिवाइस को ठीक करवाने पर आने वाली लागत को ज्यादा मानते हुए उसकी जगह नया डिवाइस खरीद लिया।
इसमें कहा गया है, "करीब 43 प्रतिशत भारतीय घरों में पांच साल से पुराने तीन या इससे ज्यादा लैपटॉप और स्मार्टफोन्स हैं, जिन्हें सर्विसिंग या रिपेयर किए जाने की जरूरत है।"
डिवाइसेज में लैपटॉप-स्मार्टफोन के अलावा PC, टैबलेट और प्रिंटर भी शामिल हैं।
सर्वे
हजारों लोग बने इस सर्वे का हिस्सा
सर्वे में भारत के 309 जिलों से 34,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।
इसमें शामिल यूजर्स में से 61 प्रतिशत पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाएं रहीं।
लोकल सर्कल्स फाउंडर सचिन टपारिया ने बताया कि यह सर्वे 10 अप्रैल से 9 जुलाई के बीच किया गया।
इसमें शामिल 47 प्रतिशत यूजर्स टियर 1 शहरों, 31 प्रतिशत टियर 2 शहरों और 22 प्रतिशत टियर 3 या 4 कस्बों और गांवों से थे।
वजह
डिवाइस रिपेयर ना करवाने की यह भी वजह
पांच साल से कम पुराने डिवाइस के रिप्लेसमेंट के तौर पर लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैबलेट, प्रिंटर और मोबाइल फोन खरीदने को लेकर एक और वजह सामने आई।
करीब आधे यूजर्स ने रिपेयरिंग कॉस्ट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
वहीं, 18 प्रतिशत ने एक और महत्वपूर्ण वजह पर जोर दिया और बताया कि उन्होंने डिवाइस रिपेयर करवाने की कोशिश की, लेकिन मैन्युफैक्चरर ऐसा नहीं कर सका।
इसके अलावा रिपेयर किए गए डिवाइस बार-बार खराब होने की शिकायत भी सामने आई है।
सवाल
डिवाइस रिपेयर करवाना क्यों नहीं पसंद करते यूजर्स?
कई जगहों पर कंपनियों के आधिकारिक सर्विस सेंटर उपलब्ध नहीं हैं, इसके अलावा आधिकारिक सर्विस सेंटर पर रिपेयरिंग पर बहुत खर्च आता है।
वहीं, थर्ड-पार्टी रिपेयर की स्थिति में ब्रैंड की ओर से प्रोडक्ट वारंटी खत्म कर दी जाती है।
इसके अलावा कई बार जेन्यूइन पार्ट्स ना मिलने के चलते लोकल या डुप्लिकेट पार्ट्स लगा दिए जाते हैं।
ऐसी स्थिति में डिवाइस के दोबारा खराब होने की गुंजाइश बनी रहती है।
राहत
राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क पर काम कर रही है सरकार
भारत में जल्द खुद का 'राइट टू रिपेयर' प्रोग्राम लॉन्च हो सकता है, जिसका मतलब है कि ग्राहकों को उनके इलेक्ट्रॉनिक्स या स्मार्टफोन्स किसी थर्ड-पार्टी से या फिर खुद रिपेयर करने का विकल्प मिलेगा।
ऐपल, गूगल और सैमसंग जैसी कंपनियों की ओर से भारत में उनके सेल्फ-रिपेयर प्रोग्राम्स पहले ही लॉन्च किए जा चुके हैं।
इन प्रोग्राम्स का मकसद ग्राहकों के लिए उनके डिवाइस रिपेयर करने की प्रक्रिया को आसान बनाना होता है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत पहला देश नहीं है, जो राइट टू रिपेयर प्रोग्राम लाने जा रहा है। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोप के कुछ हिस्सों में पहले ही यह सुविधा यूजर्स को मिल रही है और कंपनियां भारत में भी इसकी शुरुआत कर चुकी हैं।