भारतीय मार्केट में 2022 में बड़ी चुनौती बने रहेंगे मोबाइल ऐड फ्रॉड्स- रिपोर्ट
स्मार्टफोन यूजर्स और ऑनलाइन मार्केटिंग करने वालों दोनों के लिए एडवर्टाइजमेंट से जुड़े ऑनलाइन फ्रॉड चुनौती हैं और 2022 में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है। भारतीय मार्केटर्स ने इस परेशानी का जिक्र किया है और इंटिग्रल ऐड साइंस (IAS) ने अपनी इंडस्ट्री पल्स रिपोर्ट में इस ट्रेंड की जानकारी दी है। करीब 78 प्रतिशत भारतीय मार्केटर्स ने माना है कि इस साल ऐड फ्रॉड्स इस साल भी उनकी चिंता बढ़ा रहे हैं।
थर्ड-पार्टी वेरिफिकेशन का महत्व बढ़ा
रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 26 प्रतिशत मार्केटर्स ने कहा कि मोबाइल वेब वीडियोज से जुड़ा ब्रैंड रिस्क के बारे में सबसे ज्यादा है। ढेरों मार्केटर्स का मानना है कि अब टारगेटिंग सॉल्यूशन (74 प्रतिशत) और थर्ड-पार्टी वेरिफिकेशन (72 प्रतिशत) का महत्व भी स्मार्टोफोन यूजर्स के बीच बढ़ने वाला है। वहीं, सोशल मीडिया चैनल्स को लेकर 10 में से नौ मार्केटर्स ने ऐड फ्रॉड का खतरा माना है और इससे जुड़ी चिंता जताई है।
सुरक्षित ब्रैंडिंग का माहौल बनाना जरूरी
IAS इंडिया के कॉमर्शियल लीड सौरभ खट्टर ने कहा, "भारत जैसे बड़े और तेजी से बदल रहे मार्केट में ब्रैंड्स सुरक्षित ब्रैंडिंग के माहौल को लेकर ज्यादा सतर्क हुए हैं और क्वॉलिटी इंप्रेशंस का महत्व समझ रहे हैं।" उन्होंने कहा, "ब्रैंड्स के लिए यूजर्स को सुरक्षित और पारदर्शी अनुभव देना इसी वजह से जरूरी हो गया है और यूजर्स का भरोसा जीतने के लिए वेरिफिकेशन का महत्व भी बढ़ा है।"
नए माध्यमों को अपना रहे हैं भारतीय यूजर्स
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय यूजर्स टीवी और रेडियो जैसे पुराने माध्यमों के मुकाबले नए माध्यमों को अपना रहे हैं। यानी कि CTV, OTT और पॉडकास्ट से जुड़ने वालों की संख्या बढ़ी है। कम से कम 80 प्रतिशत मार्केटर्स का मानना है कि टीवी देखने वालों के मुकाबले इस साल भी OTT प्लेटफॉर्म्स इस्तेमाल करने वाले बढ़ेंगे। 10 में से सात मार्केटर्स ने कहा है कि ऑडियो सुनने वाले भी डिजिटल माध्यमों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
ऑडियो स्ट्रीमिंग में ब्रैंड रिस्क ज्यादा
रिपोर्ट में शामिल मार्केटर्स ने कहा है कि ऑडियो स्ट्रीमिंग कंटेंट के साथ ज्यादा ब्रैंड रिस्क जुड़ा है। ऑडियो स्ट्रीमिंग इन्वेंटरी को लेकर भी थर्ड-पार्टी वेरिफिकेशन जरूरी है। इस तरह का वेरिफिकेशन तय करता है कि इस प्लेटफॉर्म पर एडवर्टाइज करना मार्केटर्स के लिए सुरक्षित होगा। मार्केटर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को टारगेट तो कर रहे हैं लेकिन उनके भरोसेमंद होने पर भी सवाल उठा रहे हैं और उनके भरोसेमंद होने पर ही ऐड दिखाना चाहते हैं।
क्या होते हैं ऑनलाइन ऐड फ्रॉड्स?
यूजर्स को इंटरनेट और दूसरे माध्यमों पर डाटा जुटाने के बाद उनकी पसंद से जुड़े पर्सनलाइज्ड ऐड दिखाए जाते हैं। सभी ऐड सही वेबसाइट और प्रोडक्ट तक ले जाएं, ऐसा जरूरी नहीं है। अक्सर फेक ऐड्स दिखने के चलते यूजर्स का भरोसा प्लेटफॉर्म से उठने लगता है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। ऐड फ्रॉड्स फेक ऐड दिखाकर और फर्जी ऑफर देकर किए जाते हैं और इसका नुकसान सही मार्केटर्स को भी उठाना पड़ता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
इंटरनेट पर दिखने वाले सभी ऐड्स और ऑफर्स पर भरोसा ना करें। कई ऐड केवल इंटरनेट यूजर्स का भरोसा जीतना चाहते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। ऐड पर क्लिक करने के बाद उस लिंक को जरूर देखें, जिसपर वह ऐड आपको लेकर जाता है।