Page Loader
ऑनलाइन पढ़ाई और काम करने वालों पर 60 प्रतिशत तक बढ़े साइबर अटैक्स

ऑनलाइन पढ़ाई और काम करने वालों पर 60 प्रतिशत तक बढ़े साइबर अटैक्स

Feb 09, 2021
07:27 pm

क्या है खबर?

साल 2020 में ज्यादातर यूजर्स अपना वक्त घरों में रहते हुए ऑनलाइन बिता रहे थे और साइबर अटैकर्स ने भी इस स्थिति का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कैस्परस्काई ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में बताया है कि 2020 की पहली छमाही की तुलना में आखिरी छह महीनों में साइबर अटैक्स 60 प्रतिशत तक बढ़ गए। अटैकर्स ने ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप्स की शक्ल में यूजर्स को निशाना बनाने की कोशिश की।

डाटा

लाखों यूजर्स बने अटैक्स का शिकार

साइबरसिक्योरिटी फर्म कैस्परस्काई के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 2,70,171 यूजर्स को जुलाई से दिसंबर, 2020 के बीच निशाना बनाया गया। वहीं, साल 2019 से तुलना करें तो 2019 की दूसरी छमाही में 1,68,550 यूजर्स को ऐसे साइबर अटैक्स का निशाना बनाया गया था। दरअसल, 2020 में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने के चलते अटैकर्स ने नई रणनीति अपनाई और महामारी के दौरान स्टूडेंट्स को शिकार बनाने की कोशिश की।

तरीका

लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स की शक्ल में अटैक

अटैकर्स ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वालीं वीडियो कॉलिंग ऐप्स और ऑनलाइन कोर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल अटैक के लिए किया। अटैकर्स ने ऐसे प्लेटफॉर्म्स की कॉपीकैट वेबसाइट्स बना ली थीं, जिससे ये बिल्कुल असली लगें और यूजर्स को फंसाया जा सके। इसके अलावा यूजर्स को स्पेशल ऑफर्स और नोटिफिकेशंस के ईमेल्स भेजकर इन फेक पेज तक लाया गया। जूम, मूडल और गूगल मीट जैसे प्लेटफॉर्म्स की नकल करते हुए अटैकर्स ने लाखों यूजर्स को शिकार बनाने की कोशिश की।

खतरा

वायरस से जुड़े केवल एक प्रतिशत अटैक

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की दूसरी तिमाही में हुए साइबर अटैक्स में केवल एक प्रतिशत ट्रोजन से जुड़े हैं। कैस्परस्काई के मुताबिक, ट्रैक हुए अटैक्स में 98 प्रतिशत वायरस से जुड़े नहीं हैं, जिनका इस्तेमाल यूजर्स के डिवाइस को नुकसान पहुंचाने और उनका पर्सनल डाटा चुराने के लिए किया जाता है। इसके बजाय ढेरों अटैक्स ऐसे रिस्कवेयर से जुड़े थे, जो यूजर्स के सिस्टम को टारगेट कर बिना यूजर को पता चले, उसमें बदलाव कर सकते हैं।

चुनौती

एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स हैं आसान टारगेट

कैस्परस्काई में सिक्योरिटी एक्सपर्ट एंटॉन इवानोव ने कहा, "जब तक स्टूडेंट्स अपने क्लासरूम में वापस नहीं पहुंचते, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस साइबर क्रिमिनल्स के लिए आसान और पसंदीदा टारगेट बने रहेंगे क्योंकि इस सेक्टर में साइबर सिक्योरिटी का खास ध्यान नहीं रखा जाता।" इवानोव ने कहा है कि अब मौजूदा ट्रेंड को बदले जाने और साइबर सुरक्षा से जुड़े बेहतर इंतजाम करने की जरूरत है, जिससे वर्चुअल लर्निंग को सुरक्षित बनाया जा सके।