गूगल के अनुचित प्रयासों से सर्च इंजन में बढ़ा उसका प्रभुत्व- सत्य नडेला
क्या है खबर?
माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला ने गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट के खिलाफ एंटी ट्रस्ट मामले में अदालत में गवाही दी।
उन्होंने कहा कि गूगल द्वारा अपनाई गई अनुचित रणनीति के कारण एक सर्च इंजन के रूप में उसका प्रभुत्व बढ़ गया।
उनके मुताबिक, गूगल की इस रणनीति ने माइक्रोसॉफ्ट बिंग को फेल कर दिया।
न्याय विभाग का आरोप है कि प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन को कम करने के लिए गूगल ने अपने सर्च इंजन के प्रभुत्व का दुरुपयोग किया है।
गूगल
समझौतों के तहत गूगल सर्च बना डिफॉल्ट ब्राउजर- नडेला
नडेला ने कहा कि गूगल ने अलग-अलग कंपनियों और डिवाइस निर्माताओं से समझौते किए, जिससे उसका प्रभुत्व स्थापित हुआ।
उनके मुताबिक, इन्हीं समझौतों के चलते स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर गूगल डिफॉल्ट ब्राउजर बन गया।
नडेला ने कहा कि यूजर्स के पास फोन और कंप्यूटर पर डिफॉल्ट वेब ब्राउजर से दूसरे ब्राउजर पर जाने के ज्यादा विकल्प नहीं हैं।
विकल्पों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट बिंग विकल्पों में से एक है, लेकिन डिफॉल्ट नहीं हैं।
एंटीट्रस्ट
गूगल के खिलाफ इसलिए चल रहा मुकदमा
गूगल के खिलाफ एंटी ट्रस्ट मामला कंपनी द्वारा अपना एकाधिकार जमाने के लिए अवैध तरीके से ऐपल और अन्य स्मार्टफोन कंपनियों से एक्सक्लूसिव डील्स पर केंद्रित है।
गूगल और ऐपल की रेवेन्यू शेयरिंग एग्रीमेंट के तहत सभी ऐपल उपकरणों पर डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर गूगल का इस्तेमाल हो रहा है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 तक गूगल के साथ एग्रीमेंट से ऐपल ने लगभग 58,000 करोड़ रुपये से लेकर 66,000 करोड़ रुपये कमाई की है।
माइक्रोसॉफ्ट
सर्च में माइक्रोसॉफ्ट से पहले ही गूगल ने जमा लिए थे पैर
रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने जब अपना सर्च इंजन विकसित करने के लिए प्रयास शुरू किया, तब तक गूगल सर्च अपने पैर जमा चुका था। इंटरनेट पर चीजों को खोजने का गूगल पर्याय बन चुका था।
गूगल सर्च को वर्ष 2002 में पहली बार ऐपल के सफारी ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में इस्तेमाल किया गया था और तब से इस सौदे में कई बार बदलाव भी किए गए हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
1990 के दशक में माइक्रोसॉफ्ट पर भी ऐसे ही आरोप लगे थे कि उसने अपने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर अन्य कंपनियों के सॉफ्टवेयर को इंस्टाल करना कठिन बना दिया था।
कंपनी द्वारा अपने ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर को फ्री में उपलब्ध कराने से उस समय की शीर्ष प्रतिस्पर्धी कंपनी नेटस्केप खत्म हो गई।
माइक्रोसॉफ्ट के बचावकर्ताओं ने तर्क दिया था कि एंटी ट्रस्ट कानून वैश्विक स्तर पर घरेलू कंपनियों की सफलता को रोकते हैं, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी बन जाती हैं।