माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला के 26 वर्षीय बेटे की मौत, बचपन से थी घातक बीमारी
क्या है खबर?
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सत्य नडेला के बेटे की सोमवार सुबह मौत हो गई। कंपनी ने अपने अधिकारियों को मेल के जरिए इसकी सूचना देते हुए कहा कि जैन नडेला को बचपन से ही सेरेब्रल पॉल्सी नामक घातक बीमारी थी।
वह नडेला और उनकी पत्नी अनु के बेटे थे और उनकी उम्र 26 साल थी।
माइक्रोेसॉफ्ट ने अपने अधिकारियों से परिवार के लिए प्रार्थना करने और उन्हें अकेला छोड़ने की अपील की है।
संदेश
चिल्ड्रन्स हॉस्पीटल के CEO ने किया जैन को याद
जैन का इलाज करने वाले चिल्ड्रन्स हॉस्पीटल के CEO जेफ स्परिंग ने अपने बोर्ड को भेजे गए मेल में कहा, "जैन को संगीत में उनकी शानदार पसंद, उनकी मनमोहन मुस्कान और अपने परिजनों और उनसे प्यार करने वालों को वो जो अपार खुशी प्रदान करते थे, उसके लिए याद किया जाएगा।"
स्परिंग का यही मेल माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारियों को आगे फॉरवर्ड किया गया है।
चिल्ड्रन्स हॉस्पीटल माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर बच्चों में मानसिक बीमारियों पर रिसर्च कर रहा है।
सेरेब्रल पॉल्सी
क्या है सेरेब्रल पॉल्सी?
सेरेब्रल पॉल्सी एक तरह की शारीरिक और मानसिक अक्षमता है जिसमें शरीर के मुख्य अंग ठीक से काम नहीं करते हैं और पीड़ितों को हाथ-पैर चलाने, बोलने और फैसले लेने जैसे आम कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सेरेब्रल पॉल्सी का मुख्य कारण प्रेग्नेंसी के कारण शिशु के दिमाग का विकास न होना या किसी संक्रमण की वजह से दिमाग में चोट लगना है।
भारत में हर 1,000 में से तीन बच्चे इससे ग्रसित पाए जाते हैं।
परिचय
कौन हैं सत्य नडेला?
भारत के हैदराबाद में जन्मे सत्य नडेला का पूरा नाम सत्य नारायण नडेला हैं और उन्होंने 2014 में माइक्रोसॉफ्ट के CEO का पद संभाला था।
नडेला ने मंगलौर यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए और यहां की विस्किन्सन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स पूरी की।
वो 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े और फरवरी, 2014 में बिल गेट्स और स्टीव बालमेर के बाद कंपनी के तीसरे CEO बने।
परिवार
IAS अधिकारी थे नडेला के पिता
नडेला के पिता बुकापुरम नडेला युगांधर IAS अधिकारी थे। 80 साल की उम्र में 2019 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया था।
1962 बैच के IAS युगांधर अपने कार्यकाल में कई अहम पदों पर रहे। अपने साफ रिकॉर्ड के लिए जाने वाले युगांधर मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल में योजना आयोग के सदस्य थे।
वो 1988 से 1993 तक मसूरी स्थित लाल बहादुर नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNA) के निदेशक भी रहे।