ISRO के 100वें मिशन में तकनीकी दिक्कत, कक्षा में पहुंचाने में आ रही समस्या
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में अपना 100वां मिशन, नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 लॉन्च की थी, लेकिन इसे सही कक्षा में पहुंचाने में समस्या आ रही है।
29 जनवरी को GSLV-F15 रॉकेट से भेजे गए सैटेलाइट को 323 किलोमीटर की ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में तैनात किया जाना था।
हालांकि, ऑन-बोर्ड थ्रस्टर्स में गड़बड़ी के कारण यह ऊंचाई नहीं बढ़ा सका। इसके सौर पैनल काम कर रहे हैं और यह ग्राउंड स्टेशन से संपर्क में है।
समाधान
वैज्ञानिक खोज रहे हैं समाधान
ISRO ने बताया कि रॉकेट का प्रदर्शन पूरी तरह सही रहा, लेकिन सैटेलाइट खुद को ऊंची कक्षा में नहीं ले जा सका। यह फिलहाल 36,577 किलोमीटर की अपोजी और 170 किलोमीटर की पेरीजी वाली अंडाकार कक्षा में फंसा हुआ है।
वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा कक्षा में रहते हुए सैटेलाइट का अधिकतम उपयोग कैसे किया जा सकता है। ISRO फिलहाल विभिन्न तकनीकी विकल्पों पर काम कर रहा है, ताकि सैटेलाइट से डाटा प्राप्त हो सके।
अहमियत
NavIC सिस्टम के लिए अहम सैटेलाइट
NVS-02 सैटेलाइट ISRO के NavIC (नाविक) नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है। यह 5 उन्नत सैटेलाइट्स में से दूसरा है, जिन्हें पुराने सैटेलाइट्स की जगह भेजा जा रहा है।
इनमें सटीक रुबिडियम परमाणु घड़ियां लगी हैं, जो भारत में बनी हैं। पहला ऐसा सैटेलाइट 29 मई, 2023 को लॉन्च किया गया था।
ISRO अब यह तय कर रहा है कि NVS-02 को मौजूदा कक्षा में रखते हुए अधिकतम उपयोग कैसे किया जाए, ताकि मिशन का कोई न कोई लाभ मिल सके।