ISRO ने लॉन्च किया अपना 100वां मिशन, जानिए इसका महत्व और उद्देश्य
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (29 जनवरी) आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने GSLV-F12/NVS-02 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।
यह ISRO का 100वां मिशन है, जिसे भारतीय समयानुसार सुबह 06:20 बजे GSLV रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया।
इस मिशन के तहत NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में भेजा गया है। NVS-02 सैटेलाइट NavIC सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है।
खासियत
NVS-02 सैटेलाइट की खासियत
NVS-02 सैटेलाइट का वजन 2,250 किलोग्राम है और इसे भारत के नेविगेशन सिस्टम को सशक्त बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
यह सैटेलाइट स्वदेशी रुबिडियम परमाणु घड़ियों से लैस है, जो सटीक समय और पोजिशनिंग जानकारी प्रदान करेंगी।
इसे बेंगलुरु के UR राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया है। NVS-02 सैटेलाइट NavIC प्रणाली को और उन्नत बनाते हुए भारत और पड़ोसी क्षेत्रों में बेहतर नेविगेशन सेवाएं सुनिश्चित करेगा।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें पोस्ट
🚀 LIFTOFF! The GSLV-F15 has successfully taken flight, carrying NVS-02 into its planned orbit.
— ISRO (@isro) January 29, 2025
Stay tuned for more mission updates! 🌌 #GSLV #NAVIC #ISRO
भूमिका
GSLV-F12 रॉकेट की भूमिका
GSLV-F12 रॉकेट, जो 50.9 मीटर लंबा और लगभग 450 टन वजनी है, NVS-02 को पृथ्वी की कक्षा में ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
यह शक्तिशाली रॉकेट अपनी क्रायोजेनिक इंजन प्रणाली के कारण भारी सैटेलाइट्स को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में पहुंचाने में सक्षम है।
ISRO ने इसे विशेष रूप से नेविगेशन सैटेलाइट्स के लॉन्च के लिए डिजाइन किया है। यह लॉन्च ISRO के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमता का एक और प्रमाण है।
महत्व
NavIC सिस्टम का महत्व
NavIC सिस्टम भारत और इसके आस-पास के क्षेत्रों में 20 मीटर तक की सटीक पोजिशनिंग और 40 नैनोसेकंड से अधिक समय की सटीकता प्रदान करती है। यह सिस्टम भारत को GPS पर निर्भरता से मुक्त बनाते हुए आत्मनिर्भर बनाती है।
इसका उपयोग समुद्री, हवाई और स्थलीय नेविगेशन के साथ-साथ आपातकालीन सेवाओं और IoT में किया जाता है।
NVS-02 की सफलता ISRO के लिए मील का पत्थर है, जो भविष्य में इस सिस्टम के वैश्विक विस्तार का मार्ग प्रशस्त करेगा।