अंतरिक्ष में फिर से अनियंत्रित हुआ चीनी रॉकेट, धरती पर कहीं भी गिरने की आशंका
चीन का 20,000 किलो से अधिक वजन का रॉकेट अंतरिक्ष में बेकाबू हो गया है और यह धरती पर कहीं भी गिर सकता है, जिसको लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक परेशान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का बेकाबू हो चुका यह रॉकेट अगले दो दिनों में धरती के किसी भी हिस्से में गिर सकता है। बता दें, चीन ने 31 अक्टूबर को तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का तीसरा और अंतिम मॉड्यूल लॉन्च किया था।
31 अक्टूबर को लॉन्च हुआ था 20 टन का बूस्टर स्टेज
चीन का ताकतवर लॉन्ग मार्क-5B Y4 रॉकेट से जुड़ा 20 टन का बूस्टर स्टेज लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने लगा। आशंका है कि रॉकेट का यह बड़ा हिस्सा धरती पर वापस गिरेगा। इस पर किसी एजेंसी का नियंत्रण नहीं है और इसके गिरने की जगह भी अब तक तय नहीं हो सकी है। अगर चीनी रॉकेट का यह हिस्सा घनी आबादी वाले हिस्से में गिरता है तो जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है।
धरती के किसी भी हिस्से में गिर सकता है यह रॉकेट
ऑर्बिटल रीएंट्री को ट्रैक करने वाली कंपनी एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के मुताबिक, 5 नवंबर तक इस रॉकेट का हिस्सा कहीं भी गिर सकता है। हालांकि, उनका कहना है कि इस बात की संभावना कम है कि रॉकेट का यह हिस्सा इंसानी आबादी पर गिरेगा। दरअसल, पृथ्वी के एक बहुत छोटे हिस्सा में लोग रहते हैं, जबकि तीन हिस्से में समुद्र है। वैसे इसके हिंद महासागर के आसपास गिरने की उम्मीद है, लेकिन कुछ भी साफ नहीं कहा जा सकता।
धरती पर वापस क्यों आ रहा है रॉकेट?
सैटेलाइट को अंतरिक्ष में धकेलने के लिए ताकतवर रॉकेट्स की मदद ली जाती है, जो बाद में उससे अलग हो जाते हैं। ज्यादातर रॉकेट्स पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लौटते वक्त पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। चीनी रॉकेट आकार और वजन में बेहद बड़ा है, जिसके चलते यह नष्ट नहीं हुआ और खतरनाक ढंग से पृथ्वी पर कहीं गिर सकता है। बता दें, इस रॉकेट का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा वायुमंडल से होकर धरती पर आ सकता है।
पिछले दो लॉन्चेज में भी बनी थी यही स्थिति
तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन में भेजे गए पिछले दो मॉड्यूल लॉन्च के साथ भी ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। पिछले साल मई महीने में भी चीन का रॉकेट बेकाबू हो गया था, जो हिंद महासागर में मालदीव की सीमा के पास समुद्र में गिरा था और जिस जगह वो रॉकेट गिरा था। इसके अलावा दूसरा 30 जुलाई को भी ऐसी स्थिति देखी गई थी, जिसमें रॉकेट का मलबा मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस में गिरा था।