
अंतरिक्ष का मलबा भविष्य के मिशनों के लिए कैसे बनता जा रहा है बड़ी समस्या?
क्या है खबर?
पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में घूम रहे टूटे सैटेलाइट, रॉकेट के टुकड़े और पुराने अंतरिक्ष उपकरणों से बना मलबा लगातार बढ़ता जा रहा है।
हर साल सैकड़ों नए सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं, जिससे पुराने हिस्से वहीं छूट जाते हैं। ये मलबे बहुत तेज गति से घूमते हैं और किसी भी समय टकराव का खतरा बन सकते हैं।
अंतरिक्ष विशेषज्ञ इसे भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक गंभीर चुनौती मानते हैं।
खतरा
अंतरिक्ष मिशनों के लिए खतरा
यह मलबा अंतरिक्ष मिशनों के लिए सीधा खतरा बन चुका है।
अगर कोई टुकड़ा तेज रफ्तार से किसी रॉकेट या सैटेलाइट से टकराता है, तो पूरा मिशन विफल हो सकता है। मलबे की वजह से कई बार अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) को अपनी कक्षा बदलनी पड़ी है।
भविष्य में जब इंसान चंद्रमा या मंगल की यात्रा करेगा, तब यह मलबा उनके जीवन और तकनीक दोनों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
आशंका
केसलर सिंड्रोम की आशंका
अगर मलबे की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो वैज्ञानिकों को केसलर सिंड्रोम का डर है। इस स्थिति में मलबे की एक टक्कर कई और टकरावों को जन्म दे सकती है, जिससे कक्षा में कचरे की मात्रा तेजी से बढ़ेगी।
यह एक चेन रिएक्शन की तरह काम करेगा और अंत में पृथ्वी की कक्षा मिशन के लायक नहीं बचेगी। इससे भविष्य के वैज्ञानिक खोज और सैटेलाइट सेवाएं दोनों ही रुक सकती हैं, जो खतरनाक होगा।
प्रयास
समाधान के प्रयास जारी
दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां अब मलबा हटाने पर काम कर रही हैं।
ISRO और नासा जैसे संगठन विशेष तकनीकों से मलबा साफ करने की योजनाएं बना रहे हैं। कुछ मिशनों में रोबोटिक आर्म, नेट और लेजर जैसी तकनीकों से मलबा पकड़कर उसे नष्ट किया जा रहा है।
इसके अलावा, नए सैटेलाइट इस तरह डिजाइन किए जा रहे हैं कि वे मिशन खत्म होने पर खुद नष्ट हो सकें। ये कदम भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में जरूरी हैं।
संख्या
अंतरिक्ष में कितना कचरा है?
एक अनुमान के अनुसार, अंतरिक्ष में फिलहाल 1 मिलीमीटर से बड़े 10 करोड़ से अधिक टुकड़े हैं।
इनमें 35,000 ऐसी चीजें हैं जिनका आकार 10 सेमी से बड़ा है। वहीं, करीब 9 लाख टुकड़े मध्यम आकार के मलबे के हैं, जिनका आकार 1 सेमी से 10 सेमी के बीच है।
1 सेमी से भी छोटे टुकड़ों की संख्या करोड़ों में है।
इन सभी का कुल द्रव्यमान: वजन लगभग 9,000 मीट्रिक टन से अधिक है।