
पृथ्वी के अलावा किन-किन ग्रहों पर अब तक ज्वालामुखी का चला है पता?
क्या है खबर?
पृथ्वी के ही समान सौरमंडल में मौजूद अन्य ग्रहों पर भी कई तरह की गतिविधियां होती हैं।
नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां अपने अलग-अलग मिशनों के तहत कई ग्रहों पर भूकंप और ज्वालामुखी जैसी गतिविधियों का पता लग चुकी हैं।
इससे वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिली है कि हमारे ग्रह की तरह अन्य पिंड भी कभी गर्म और सक्रिय रहे हैं।
आइए जानते हैं अब तक किन ग्रहों पर ज्वालामुखी होने के संकेत मिले हैं।
शुक्र और मंगल
शुक्र और मंगल पर मिले पुराने और नए संकेत
शुक्र ग्रह पर 1990 में नासा के मैजेलन मिशन ने ज्वालामुखीय मैदान, लावा बहाव और ढलानों को रिकॉर्ड किया। 2023 में नए आंकड़ों से पता चला कि वहां आज भी कुछ ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं।
वहीं, मंगल ग्रह पर 1971 में मारिनर 9 मिशन के दौरान ओलंपस मॉन्स नाम का विशाल ज्वालामुखी देखा गया, जो दुनिया का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है। इससे पता चलता है कि मंगल ग्रह पर भी पहले ज्वालामुखी गतिविधियां खूब होती थीं।
बुध और चंद्रमा
बुध और चंद्रमा पर दिखे प्राचीन ज्वालामुखी
बुध ग्रह पर 2011 में नासा के मैसेंजर मिशन के दौरान ऐसे कई गड्ढे और मैदान पाए गए, जो ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण बने थे। इससे संकेत मिला कि बुध ग्रह पर अरबों साल पहले लावा बहा था।
हमारे चंद्रमा पर भी ऐसे ही पुराने लावा मैदान मौजूद हैं, जिन्हें मून मैरियस कहा जाता है। अपोलो मिशनों से यह साफ हुआ कि चंद्रमा पर भी किसी समय ज्वालामुखी फूटे थे, जो अब पूरी तरह शांत और निष्क्रिय हो चुके हैं।
बृहस्पति और शनि
बृहस्पति और शनि के चंद्रमाओं की सक्रियता
बृहस्पति का चंद्रमा आयो पूरे सौरमंडल में सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखीय पिंड माना जाता है। वॉयेजर-1 मिशन (1979) ने वहां लावा फव्वारे रिकॉर्ड किए थे।
वहीं, शनि के चंद्रमा एनसेलडस पर 2005 में कैसिनी मिशन के दौरान बर्फीले ज्वालामुखी यानी क्रायोवोल्कैनो देखे गए। वहां से बर्फ, गैस और पानी अंतरिक्ष में फूटते पाए गए।
इससे संकेत मिला कि वहां जीवन के लिए जरूरी तत्व और अंदर तरल पानी मौजूद हो सकता है।
ट्राइटन और वेस्टा
नेपच्यून, ट्राइटन और वेस्टा से मिले सुराग
नेपच्यून का चंद्रमा ट्राइटन भी 1989 में वॉयेजर-2 मिशन के समय चर्चा में आया, जब वहां बर्फीली सतह से गैसों के फव्वारे निकलते देखे गए। वैज्ञानिकों ने इसे भी क्रायोवोल्कैनो की तरह माना।
इसके अलावा, डॉन मिशन (2011) ने एस्ट्रोयड वेस्टा की सतह पर भी ऐसे संकेत पाए जो दिखाते हैं कि वहां अतीत में ज्वालामुखी गतिविधि हुई थी।
इन सभी प्रमाणों से साफ है कि पृथ्वी अकेली नहीं, अन्य पिंडों पर भी कभी ज्वालामुखी फूट चुके हैं।