
स्पेस स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री कैसे सोते और नहाते हैं?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष के बारे में जानकारियां इकट्ठा करने के लिए नासा समेत कई एजेंसियों के अंतरिक्ष यात्री समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाते हैं।
आमतौर पर उन्हें 6 महीने तक स्टेशन पर रहना होता है, लेकिन कभी-कभी उनका प्रवास लंबा भी हो जाता है।
हाल ही में भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स को भी इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि वहां रहकर वे कैसे जीवन बिताते हैं?
नींद
स्पेस स्टेशन पर कैसे होती है नींद पूरी?
स्पेस स्टेशन पर गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए अंतरिक्ष यात्री बिस्तर पर नहीं सो सकते।
उन्हें दीवार से बंधे स्लीपिंग बैग में सोना पड़ता है, ताकि वे तैरते न रहें। नींद के दौरान आंखें बंद कर वे हेडफोन लगाकर शांत माहौल बनाते हैं, जिससे दिमाग को आराम मिल सके।
उनका शरीर भले ही हवा में हो, लेकिन वे खास समय पर सोते और उठते हैं ताकि शरीर की घड़ी बनी रहे और काम में कोई बाधा न आए।
नहाना
नहाने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं होता
स्पेस स्टेशन पर पानी की कमी होती है और गुरुत्वाकर्षण न होने से पानी बूंदों में तैरता है। ऐसे में नहाने के लिए अंतरिक्ष यात्री पानी से नहीं, बल्कि गीले कपड़े और खास तरह के शैंपू और साबुन से खुद को साफ करते हैं।
वे 'नो वॉटर' शैम्पू से बाल धोते हैं और शरीर को साफ करने के लिए फोम बेस्ड स्पंज का उपयोग करते हैं। यह सब सतर्कता से किया जाता, ताकि पानी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में न चला जाए।
सफाई
साफ-सफाई भी है एक बड़ा मिशन
अंतरिक्ष में हाइजीन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि वहां बीमार पड़ना भारी पड़ सकता है।
यात्रियों को हर दिन कपड़े बदलने, दांत साफ करने और हाथ धोने जैसी सामान्य चीजों पर ज्यादा ध्यान देना होता है। वे टिशू, सैनिटाइजर और खास सफाई उपकरणों का उपयोग करते हैं।
यहां तक कि उनके पसीने और सांस से निकली नमी को भी री-सायकल किया जाता है, ताकि उसे फिर से पीने योग्य पानी में बदला जा सके।