अंतरिक्ष से पृथ्वी पर भेजी जाएगी सौर ऊर्जा, चीन ने किया सफल परीक्षण
चाइनीज रिसर्चर्स अंतरिक्ष और सूरज से जुड़ी ऊर्जा पर लंबे वक्त पर काम कर रहे हैं और इससे जुड़े एक और रिपोर्ट सामने आई है। रिसर्चर्स एक ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर रहे हैं, जिसके साथ बाहरी अंतरिक्ष से सौर ऊर्जा का धरती तक वायरलेस ट्रांसमिशन किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों की टीम ने इस टेक्नोलॉजी से जुड़े फुल-सिस्टम मॉडल की सफलतापूर्वक टेस्टिंग भी की है। नई टेक्नोलॉजी धरती पर ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी कर सकती है।
सूरज की रोशनी से माइक्रोवेव बीम्स
चीन के शानक्सी क्षेत्र में मौजूद जीडिआन यूनिवर्सिटी के मॉडल पावर स्टेशन से पृथ्वी की सतह से ऊपर सूरज की रोशनी इकट्ठा की और इसे माइक्रोवेव बीम्स में बदल दिया। इसके बाद इन बीम्स को हवा से ट्रांसमिट करते हुए पृथ्वी पर बने रिसीवर स्टेशन तक भेजा गया, जहां इसे दोबारा इलेक्ट्रिसिटी में बदला जा सकता है। रिसर्चर्स का मानना है कि भविष्य में यह टेक्नोलॉजी सैटेलाइट्स में लगे सोलर पैनल्स से ऊर्जा पृथ्वी तक भेज सकेगी।
एक्सपर्ट्स पैनल ने की सफल टेस्टिंग की पुष्टि
मॉडल से जुड़ी रिसर्च टीम ने हाल ही में ये टेस्ट्स बाहरी एक्सपर्ट्स के एक पैनल के सामने किए। प्रेस रिलीज के मुताबिक, 5 जून को इस एक्सपर्ट्स पैनल ने टेस्ट्स के दौरान मॉडल के सफलतापूर्वक काम करने की पुष्टि की है। नई टेक्नोलॉजी नवीकरणीय ऊर्जा अभियान से जुड़ी सबसे बड़ी परेशानी दूर कर देगी और उन क्षेत्रों में भी सौर ऊर्जा इस्तेमाल की जा सकेगी, जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती।
दूसरे देश भी इस टेक्नोलॉजी पर कर रहे हैं काम
चीन अकेला देश नहीं है, जहां रिसर्चर्स सौर ऊर्जा से जुड़ी इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की ओर से साल 2013 में 10 करोड़ डॉलर का ग्रांट मिलने के बाद एक स्पेस सोलर प्रोग्राम शुरू किया गया है। जीडिआन के मुताबिक, भारत, रूस, UK और फ्रांस के रिसर्चर्स भी इससे जुड़ी संभावनाएं तलाश रहे हैं और जापान इस फील्ड में बाकियों के मुकाबले आगे है।
पहली बार हुआ पूरे मॉडल का सफल परीक्षण
सोलर-फ्रॉम-स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े अलग-अलग कंपोनेंट्स पहले भी टेस्ट किए जा चुके हैं, लेकिन चाइनीज रिसर्चर्स ने पहली बार पूरे फुल-सिस्टम मॉडल का सफल परीक्षण किया है। परीक्षण के दौरान इस मॉडल ने 55 मीटर की ऊंचाई से सौर ऊर्जा पृथ्वी पर भेजी।
चीन के पास है खुद का कृत्रिम सूरज
चीन के पास पहले ही एक कृत्रिम सूरज है, जिसकी मदद से देश की ऊर्जा से जुड़ी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक (EAST) नाम के इस सूरज ने साल की शुरुआत में असली सूरज से पांच गुना ज्यादा तापमान पैदा किया। इसने 1,056 सेकेंड तक करीब सात करोड़ डिग्री तापमान पैदा किया और ऐसा लगातार कर पाने की स्थिति में यह चीन के बड़े हिस्से को असली सूरज की तरह रोशनी और गर्मी दे सकेगा।
कृत्रिम चांद बनाने को भी तैयार है पड़ोसी देश
चीन के वैज्ञानिक एक नकली चांद तैयार करने की कोशिश भी कर रहे हैं। इस कृत्रिम चांद की मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी के उपग्रह का माहौल प्रयोगशाला में तैयार कर पाएंगे और सौर मंडल को समझ सकेंगे। करीब दो फीट या 60 सेंटीमीटर व्यास वाले इस चांद पर गुरुत्वाकर्षण शून्य कर दिया जाएगा। कृत्रिम चांद को जियांगसू क्षेत्र के जुझोऊ शहर में बनाया जा रहा है और इस साल आधिकारिक रूप से लॉन्च किया जाएगा।