
AI की मदद से कैसे लगाया जा रहा दवा प्रतिरोधी संक्रमणों का पता?
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग हर क्षेत्र में काफी तेजी से बढ़ रहा है और अब इसका प्रयोग दवा प्रतिरोधी संक्रमणों की पहचान में भी किया जा रहा है।
अमेरिका के ट्यूलाने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और स्टैफिलोकोकस ऑरियस में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के आनुवंशिक मार्करों का पता लगाने के लिए AI आधारित विधि विकसित की है।
यह तकनीक इलाज के लिए सही दवा चुनने में डॉक्टरों की मदद कर सकती है।
काम
नई तकनीक कैसे काम करती है?
वैज्ञानिकों ने इस तरीके को ग्रुप एसोसिएशन मॉडल (GAM) नाम दिया है।
यह मशीन लर्निंग का उपयोग करता है और बैक्टीरिया के DNA में ऐसे बदलाव पहचानता है, जो दवा के खिलाफ प्रतिरोध पैदा करते हैं। पारंपरिक तरीकों की तरह इसे पहले से जानकारी नहीं दी जाती, फिर भी यह काम करता है।
इस मॉडल को माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के 7,000 और स्टैफिलोकोकस ऑरियस के 4,000 से ज्यादा नमूनों पर परखा गया।
तुलना
GAM मॉडल की सटीकता और WHO से तुलना
GAM मॉडल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डाटाबेस से भी काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
यह गलत पॉजिटिव यानी झूठे नतीजों को काफी हद तक कम करता है, जिससे इलाज गलत दिशा में नहीं जाता।
मौजूदा DNA टेस्ट कभी-कभी बैक्टीरिया को गलत तरीके से प्रतिरोधी बता देते हैं, लेकिन GAM यह साफ करता है कि कौन-से बदलाव असल में कारण हैं।
इससे इलाज में बेवजह बदलाव की जरूरत नहीं पड़ती है।
संभावनाएं
क्लिनिकल परीक्षणों में सफलता और भविष्य की संभावनाएं
चीन में लिए गए बैक्टीरिया नमूनों पर किए गए परीक्षणों में GAM ने प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध की पहचान WHO के तरीकों से बेहतर की।
यह तकनीक समय रहते संक्रमण को पकड़ सकती है, जिससे इलाज जल्दी शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि यह तकनीक कृषि जैसे क्षेत्रों में भी काम आ सकती है, जहां फसलों में दवाएं बेअसर हो रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इलाज सस्ता, तेज और असरदार बन सकता है।