
अनजान नंबर से कॉल्स नहीं करेंगी परेशान, ट्रू-कॉलर जैसा फ्रेमवर्क तैयार कर रही है सरकार
क्या है खबर?
अनजान नंबर से आने वाली कॉल्स अब आपको परेशान नहीं करेंगी और इसके लिए किसी थर्ड-पार्टी ऐप की मदद भी नहीं लेनी होगी।
यूजर्स की स्क्रीन पर कॉल करने वाले का नाम दिखाने के लिए टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) खास फ्रेमवर्क तैयार कर रही है।
अभी किसी नंबर से कॉल आने पर कॉलर का नाम तभी दिखता है, जब वह नंबर कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव हो।
नए बदलाव के बाद हर नंबर पर कॉलर का नाम दिखाया जाएगा।
रिपोर्ट
नया फ्रेमवर्क तैयार कर रही है TRAI
समाचार एजेंसी PTI ने 'वरिष्ठ अधिकारियों' के हवाले से बताया कि TRAI जल्द एक खास फ्रेमवर्क मैकेनिज्म तैयार करने पर चर्चा करने वाली है।
नए फ्रेमवर्क के साथ कॉल करने वाले का KYC आधारित नाम स्मार्टफोन को स्क्रीन पर दिखाया जाएगा।
अभी ट्रू-कॉलर जैसी ऐप्स की मदद से अनजान नंबर से फोन करने वाले का नाम देखने का विकल्प मिलता है।
हालांकि यह विकल्प भरोसेमंद नहीं है और कुछ सीमाओं के अलावा ऐप से जुड़ा डाटा क्राउडसोर्स्ड होता है।
साझेदारी
दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर फीचर पर काम
PTI ने बताया है कि नए फ्रेमवर्क पर काम करने और इससे जुड़ी चर्चा के लिए TRAI को दूरसंचार विभाग (DoT) से सुझाव दिए गए हैं।
TRAI चेयरमैन पीडी वाघेला ने बताया है कि अगले कुछ महीनों में फ्रेमवर्क से जुड़ी चर्चा शुरू कर दी जाएगी।
उन्होंने समाचार एजेंसी को बताया, "हमें अभी केवल एक रिफरेंस मिला है और हम जल्द इसपर काम करना शुरू कर देंगे। कॉल करने वाले का KYC से जुड़ा नाम स्मार्टफोन स्क्रीन पर दिखाया जाएगा।"
फायदा
स्पैम कॉल्स से निपटने में मिलेगी मदद
माना जा रहा है कि नए बदलाव के साथ पूरे कॉलिंग नेटवर्क में पारदर्शिता आएगी और यूजर्स को सीधे तौर पर इसका फायदा मिलेगा।
मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि बदलाव के साथ यूजर्स को स्पैम और फ्रॉड कॉल्स से निपटने में मदद मिलेगी और इनसे काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
हालांकि, अभी केवल इस शुरुआत से जुड़े संकेत मिले हैं, ऐसे में इसका फायदा सभी को मिलने से जुड़ी टाइमलाइन सामने नहीं आई है।
प्रतिक्रिया
सामने आई ट्रू-कॉलर की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास को लेकर कॉलर आइडेंटिफिकेशन ऐप ट्रू-कॉलर के स्पोक्सपर्सन ने कहा, "हम संचार को सुरक्षित और आसान बनाने की दिशा में किए जा रहे हर तरह के प्रयास का स्वागत करते हैं।"
उन्होंने कहा, "स्कैम और स्पैम कॉल्स से निपटने के लिए हम नंबर आइडेंटिफिकेशन का महत्व समझते हैं और अपने इस मिशन को लेकर पिछले करीब 13 साल से काम कर रहे हैं।"
न्यूजबाइट्स प्लस
कैसे काम करती है ट्रू-कॉलर ऐप?
ट्रू-कॉलर ऐप किसी स्मार्टफोन में इंस्टॉल होने के बाद उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट का एक्सेस मांगती है।
इसके बाद फोन में सेव नंबर और उनसे जुड़े नाम ऐप के डेटाबेस में सेव हो जाते हैं।
इस तरह ज्यादा यूजर्स के साथ इसका डेटाबेस बड़ा होता जा रहा है।
किसी एक डिवाइस में सेव नंबर से दूसरे डिवाइस में कॉल या मेसेज आने पर उसे डेटाबेस में सेव नाम स्क्रीन पर दिखाया जाता है।