क्या डार्क वेब पर बिक रहा ट्रूकॉलर के करोड़ों यूजर्स का डाटा? कंपनी ने दिया जवाब
बीते कुछ समय से बड़ी कंपनियों के डाटाबेस लीक होने की घटनाएं बढ़ी हैं। हाल ही में डिजिटल स्टडी प्लेटफॉर्म अनएकेडमी और एक रिज्यूमे एग्रीगेटर के करोड़ों यूजर्स का डाटा लीक होने की जानकारी सामने आई थी। अब ट्रूकॉलर के 4,75 करोड़ भारतीय यूजर्स का डाटाबेस लीक होने की बात कही जा रही है। साइबर सिक्योरिटी कंपनी साइबल ने कहा है कि इन 4.75 करोड़ यूजर्स का डाटा डार्क वेब पर 75,000 रुपये में बेचा जा रहा है।
ट्रूकॉलर ने किया डाटा लीक होने की रिपोर्ट का खंडन
साइबल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ट्रूकॉलर के डाटाबेस से लीक होने के बाद ये जानकारियां डार्क वेब पर उपलब्ध हुई है। दूसरी तरफ ट्रूकॉलर ने इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि उसका डाटाबेस लीक नहीं हुआ है और यूजर्स की सभी जानकारी सुरक्षित है। ट्रूकॉलर के प्रवक्ता ने कहा, "हम यूजर्स की प्राइवेसी को बहुत गंभीरता से लेते हैं और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।"
ट्रूकॉलर ने बयान में कही यह बात
ट्रूकॉलर ने कहा कि कंपनी को मई 2019 में भी ऐसी जानकारी मिली थी। प्रवक्ता ने कहा, "ऐसा लग रहा है कि यह पुराना डाटाबेस है। असामाजिक तत्वों के लिए यह करना आसान है कि वो अलग-अलग जगहों से मोबाइल नंबर उठाते हैं और इस पर ट्रूकॉलर की मुहर लगा देते हैं। ऐसा करने से उनके डाटा की कीमत बढ़ जाती है। कंपनी अपने यूजर्स से ऐसे लोगों के झांसे में ने आने की अपील करती है।"
कीमत देखकर साइबल को हुई हैरानी
साइबल ने अपने ब्लॉग में लिखा, 'एक सेलर 4.75 करोड़ यूजर्स की जानकारी 75,000 रुपये में बेच रहा है। यह डाटा पिछले साल का है। हमें भी डाटा की इतनी कम कीमत देखकर हैरानी हुई। यह जानकारी क्रमवार तरीके से बेची जा रही है।'
डाटाबेस में यूजर्स के कई जानकारियां शामिल
साइबल ने लिखा कि डार्क वेब पर जो जानकारी बेची जा रही है उसमें यूजर्स के मोबाइल नंबर, लिंग, शहर, मोबाइल नेटवर्क, फेसबुक आईडी और कुछ निजी जानकारियां शामिल हैं। कंपनी ने कहा, "हमारे रिसर्चर इन जानकारियों का विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन साफ तौर पर इस लीक से बड़ी संख्या में यूजर्स प्रभावित होंगे और उन्हें स्पैम, स्कैम और जानकारी चोरी होने के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। अधिक जानकारी सामने आने पर अपडेट देते रहेंगे।"
क्या होती है डार्क वेब, जहां बिकता है डाटा?
डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जो सर्च इंजन पर इंडेक्स नहीं है यानी साधारण यूजर इसे एक्सेस नहीं कर पाएगा। इसे एक्सेस करने के लिए अलग ब्राउजर की जरूरत होती है। यहां पर क्रेडिट कार्ड नंबर, सभी प्रकार की ड्रग्स, नकली पैसे, चुराया गया डाटा, हैक किए सोशल मीडिया अकाउंट आदि आसानी से उपलब्ध होते हैं। हालांकि, यहां मौजूद जानकारियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। डार्क वेब पर लेनदेन के लिए अधिकतर क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल होता है।