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अब अभिभावक हर पल रख सकेंगे बच्चों के फोन पर नजर, करना होगा यह काम

अब अभिभावक हर पल रख सकेंगे बच्चों के फोन पर नजर, करना होगा यह काम

Nov 27, 2018
07:49 pm

क्या है खबर?

अगर आपके बच्चे हर समय स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं तो गूगल उसका समाधान लेकर आई है। कंपनी ने भारत में फैमिली लिंक ऐप लॉन्च की है, जिसके सहारे अभिभावक अपने बच्चों की स्मार्टफोन एक्टिविटी पर नजर रख सकते हैं। इसकी मदद से स्मार्टफोन के स्क्रीन टाइम, ऐप यूज और दूसरी एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। इस ऐप का उद्देश्य बच्चों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण का निर्माण और उनको स्मार्टफोन की लत से बचाना है।

फैमिली लिंक

आखिर क्या है फैमिली लिंक ऐप?

बता दें गूगल ने बच्चों के सुरक्षित स्मार्टफोन यूज करने के लिए फैमिली लिंक ऐप को लॉन्च किया था। पहले इसे केवल 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए लाया गया था, लेकिन अब इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने इसे किशोरों के लिए भी उपलब्ध करवा दिया है। हालांकि, किशोरों के लिए ऐप के कंट्रोल ऑप्शन दूसरे रहेंगे और उन्हें केवल यूजर्स की मर्जी के बाद ही एक्टिवेट किया जा सकता है।

जानकारी

अभिभावकों को मिलेगी बच्चों के फोन की पूरी जानकारी

फैमिली लिंक ऐप के सहारे अभिवावकों की 13 साल से कम उम्र के बच्चों के स्मार्टफोन तक पूरी पहुंच रहेगी। अभिभावक कुल स्क्रीन टाइम और कौन सी ऐप कितने समय के लिए इस्तेमाल की गई, जैसी जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा वे प्ले स्टोर से किसी ऐप के डाउनलोड होने या नहीं होने की परमिशन सेट कर सकते हैं। अगर बच्चे इन सेटिंग्स को बदलने की कोशिश करते हैं तो भी अभिभावक फोन को लॉक/अनलॉक कर सकते हैं।

जानकारी

किशोरों के लिए चुनिंदा फीचर्स

टीनएजर्स के फोन में अभिभावक को चुनिंदा कंट्रोल ही मिलेंगे। उनके फोन में अभिभावक पासवर्ड नहीं बदल पाएंगे। साथ ही यूजर एक तय समय बीत जाने के बाद दोबारा फोन इस्तेमाल कर सकेंगे। ऐसा करने पर अभिभावकों के पास नोटिफिकेशन चली जाएगी।

तरीका

ऐसे करें ऐप का इस्तेमाल

गूगल के फैमिली लिंक को इस्तेमाल करने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाकर फैमिली लिंक ऐप फॉर पैरेंट्स को डाउनलोड करें। वहीं बच्चों के फोन में इस ऐप का किड्स वर्जन डाउनलोड कर दें। इसके बाद अकाउंट बनाकर दोनों फोन को पेयर करना होगा। पेयर करने के बाद दोनों फोन आपस में कनेक्ट हो जाएंगे और बच्चों के स्मार्टफोन की एक्टिविटी को ट्रैक किया जा सकेगा। इसके बाद अभिभावक बच्चों के फोन इस्तेमाल करने की सीमा तय कर सकेंगे।