जनरेटिव AI कोरोना वायरस और इबोला के खिलाफ एंटीबॉडी थेरेपी में कर सकता है सुधार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का काफी समय से विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन ChatGPT की खोज ने AI की और अधिक क्षमताओं के बारे में लोगों को परिचित कराया। एक नई रिसर्च से पता चला है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोरोना वायरस, इबोला और अन्य वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी थेरेपी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। आइये इस टेक्नोलॉजी के अन्य पहलुओं के बारे में गहराई से जान लेते हैं।
AI सिस्टम एंटीबॉडी दवाओं की खोज करने में मदद करेगा
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GAI) एक प्रकार का AI एल्गोरिदम है जो ट्रेनिंग के आधार पर टेक्स्ट, फोटो और अन्य कंटेंट तैयार करने में सक्षम है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह AI सिस्टम उन हिस्सों के लिए एंटीबॉडी दवाओं की खोज करने में मदद करेगा, जहां पारंपरिक एंटीबॉडी काम नहीं करती। बता दें कि एंटीबॉडी Y-आकार के ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इंसानों को बैक्टीरिया और वायरस के हमलों से बचाने में मदद करते हैं।
शोधकर्ताओं ने मेटा AI के मॉडल का किया इस्तेमाल
एक कंप्यूटेशनल जीव विज्ञानी ब्रायन हई ने कहा कि उपयोगी गुणों के साथ एंटीबॉडी बनाने में "ब्रूट-फोर्स स्क्रीनिंग" का इस्तेमाल होगा। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल किया, जिसे प्रोटीन लैंग्वेज मॉडल कहा जाता है। शोधकर्ताओं की टीम ने मेटा AI द्वारा विकसित एक मॉडल का इस्तेमाल किया। ये न्यूरल नेटवर्क बड़े लैंग्वेज मॉडल के समान है, जो ChatGPT जैसे AI मॉडल में इस्तेमाल होते हैं।
न्यूरल नेटवर्क मॉडल को लाखों प्रोटीन सिक्वेंस पर दी जाती है ट्रेनिंग
न्यूरल नेटवर्क और ChatGPT के मॉडल में बड़ा अंतर यह है कि न्यूरल नेटवर्क के लिए इस्तेमाल होने वाले मॉडल को भारी डाटा पर प्रशिक्षित करने के बजाय प्रोटीन लैंग्वेज मॉडल को लाखों प्रोटीन सीक्वेंस पर ट्रेनिंग दी जाती है। वैज्ञानिक आमतौर पर पूरी तरह से नए प्रोटीन बनाने और पूरी सटीकता के साथ अणुओं की संरचना का अनुमान लगाने के लिए प्रोटीन लैंग्वेज मॉडल का उपयोग करते हैं।
प्रोटीन लैंग्वेज ने इन वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की क्षमता में किया सुधार
ब्रायन की टीम ने एंटीबॉडी के लिए म्यूटेशन का सुझाव देने के लिए मेटा AI के बनाए मॉडल का इस्तेमाल किया। शानदार बात ये है कि प्रोटीन लैंग्वेज ने इंफ्लूएंजा, इबोला और कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की क्षमता में सुधार किया। कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पीटर किम ने कहा कि ये प्रोटीन मॉडल ऐसी जानकारी तक पहुंच रहा है, जो एंटीबॉडी इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों के लिए भी स्वाभाविक नहीं है।
AI के जरिए बीमारियों का इलाज खोजने का प्रयास जारी
जनरेटिव AI के परिणाम उम्मीद से भरे हैं। ये G-प्रोटीन रिसेप्टर्स का भी पता लगाने में मदद कर सकते हैं, जो न्यूरोलॉजिकल बीमारी, हृदय रोग और अन्य स्थितियों में भूमिका निभाते हैं। नाबला बायो के को-फाउंडर सर्ज बिस्वास ने कहा कि जनरेटिव AI एंटीबॉडी दवाओं के डिजाइन में भी मदद कर सकता है, जो ट्यूमर प्रोटीन और प्रतिरक्षा कोशिका जैसे ट्यूमर को मारने सक्षम होगी। AI से कैंसर सहित अन्य बीमारियों के इलाज के तरीके भी खोजे जा रहे हैं।