आइसलैंड में पिछले 24 घंटे में 2,200 भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका
आइसलैंड की राजधानी रेक्जाविक के आसपास के क्षेत्रों में पिछले 24 घंटों में लगभग 2,200 भूकंप दर्ज किए गए हैं। देश के मौसम कार्यालय का मानना है कि यह ज्वालामुखी विस्फोट का संकेत हो सकता है क्योंकि लगातार भूकंप ज्वालामुखी के भीतर मौजूद मैग्मा या अन्य तरल पदार्थों की तेज गति से उत्पन्न कंपन से आते हैं। बता दें कि आइसलैंड यूरोप का सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र है। आइए इस घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आइलैंड में पिछले 2 सालों में 2 बार हो चुके हैं ज्वालामुखी विस्फोट
आइसलैंडिक मौसम विज्ञान कार्यालय (IMO) ने कहा कि भूकंप के झटके मंगलवार शाम करीब 4 बजे आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिमी रेक्जेन्स प्रायद्वीप पर स्थित माउंट फाग्राडल्सफजाल के नीचे शुरू हुए, जो एक ज्वालामुखी प्रणाली के ऊपर मौजूद है और यहां पिछले 2 वर्षों में 2 विस्फोट चुके हैं। एजेंसी के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में लगभग 2,200 भूकंपों का पता लगाया गया है और सबसे बड़े भूकंप आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में महसूस किए गए हैं।
एजेंसी ने विमानन सेवाओं को ऑरेंज अलर्ट पर रखा
एजेंसी का कहना है कि यह भूकंपीय गतिविधि जारी रहने की संभावना है और अब तक आए भूंकपों में से 7 की तीव्रता 4 से अधिक थी, जिन्हें हल्का भूकंप माना जा रहा है। हालांकि, भूकंपीय गतिविधि के परिणामस्वरूप एजेंसी ने विमानन अलर्ट को ग्रीन से बढ़ाकर ऑरेंज कर दिया है। बता दें कि अलग-अलग रंग के अलर्ट विमानन सेवाओं को ज्वालामुखी विस्फोट के खतरे का संकेत देने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
अप्रैल, 2010 में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण रद्द हुई थीं लाखों फ्लाइट्स
अप्रैल, 2010 के आईजफजल्लाजोकुल ज्वालामुखी विस्फोट को सबसे खतरनाक विस्फोट माना जाता है। उस समय यूरोप के ऊपर से उड़ने वाली लाखों फ्लाइट्स को रद्द कर दिया गया था क्योंकि पूरी दुनिया को डर था कि हवा में जाने वाले लावा के कण एयरप्लेन के इंजन में जाकर किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इसके कारण लगभग 1 करोड़ यात्री फंस गए थे। बता दें कि 2021 और 2022 में भी माउंट फाग्राडल्सफजाल के पास लावा निकला था।
ज्वालामुखी विस्फोट होने से पहले भूकंप क्यों आते हैं?
ज्वालामुखी के अंदर मौजूद मैग्मा और अन्य तरल पदार्थ भूकंप का कारण बनते हैं। दरअसल, ज्वालामुखी का तरल मैग्मा, गर्म तरल पदार्थ और गैसों का समूह मिलकर सतह तक पहुंचने का रास्ता बनाते हैं, जिससे धरती में तेज कंपन होता है। एक साथ आने वाले कई भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट का संकेत होते हैं। यही वजह है कि IMO ने 24 घंटे में आए हजारों भूकंपों के बाद ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना बताई है।