
G-23: कांग्रेस के इस समूह में कितने नेता बाकी और क्या हो सकता है इसका भविष्य?
क्या है खबर?
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के बाद बागी कांग्रेस नेताओं का 'G-23 समूह' एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है।
आजाद इस समूह के सबसे बड़े नेता और सूत्रधार थे और उनके इस्तीफे के बाद इसके भविष्य पर भी सवाल उठ रहे हैं।
आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि G-23 समूह अस्तित्व में कैसा आया, अभी ये किस स्थिति में हैं और इसका भविष्य क्या हो सकता है।
शुरूआत
दो साल पहले अस्तित्व में आया था G-23 समूह
G-23 समूह दो साल पहले अगस्त, 2020 में अस्तित्व में आया था। तब कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े सुधारों की मांग की थी।
उन्होंने पार्टी में स्थानीय समितियों से लेकर अध्यक्ष तक के लिए चुनाव कराने और प्रदेश इकाइयों को अधिक ताकत और स्वतंत्रता देने को कहा था।
पत्र में ऐसे नेतृत्व की मांग भी की गई थी जो सक्रिय हो और जमीन पर कार्य करता दिखे।
नेता
शुरुआत में G-23 समूह में कौन-कौन से नेता शामिल थे?
G-23 में दिग्गज नेता शामिल थे। इनमें गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल सबसे प्रमुख थे जिन्हें इस समूह का सूत्रधार माना गया।
इसके अलावा आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद जैसे नेता भी इसमें शामिल थे।
मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चौहान और राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और कौल सिंह ठाकुर जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए।
जानकारी
अभी G-23 में कौन-कौन शामिल?
आजाद और सिब्बल दोनों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। आजाद अपनी पार्टी बनाने पर विचार कर रहे हैं, वहीं सिब्बल सपा से राज्यसभा सांसद बन गए हैं। जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। बाकी G-23 नेता अभी भी कांग्रेस में हैं।
प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने G-23 की मांगों पर क्या किया?
G-23 नेताओं के पत्र के बाद कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की एक बैठक हुई जिसमें काफी तीखी तकरार हुई और पार्टी गांधी परिवार और G-23 के दो धड़ों में बंटती नजर आई।
इसके बाद पिछले दो साल में कई बार दोनों समूहों का टकराव हुआ, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने G-23 की मांगों पर कोई ठोस सुनवाई नहीं की।
अभी अक्टूबर में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव किए जा रहे हैं, लेकिन G-23 ने इसे भी महज दिखावा बताया है।
भविष्य
G-23 के लिए अब आगे क्या?
पिछले दो साल में G-23 धीरे-धीरे कमजोर हुआ है। कई G-23 नेताओं को कांग्रेस ने बड़ी जिम्मेदारी दे दी है, जिससे वे शांत हैं और बाकी नेता इतने लोकप्रिय नहीं हैं कि कुछ असर डाल सकें।
अभी मनीष तिवारी और आनंद शर्मा दो ऐसा नेता बचे हैं जो कुछ हद तक पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आजाद से समूह को वजन मिला हुआ था और उनके इस्तीफे के बाद यह खत्म होता हुआ दिख रहा है।