कौन हैं विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा में रह चुके सिन्हा फिलहाल ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) में थे और आज सुबह ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनके नाम का ऐलान करते हुए सभी पार्टियों से सिन्हा को वोट देने की अपील की। आइए जानते हैं कि यशवंत सिन्हा कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा है।
पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा ने बतौर IAS की करियर की शुरूआत
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1958 में पटना यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया और दो साल बाद सिविल सेवा परीक्षा पास करके IAS बन गए। सिन्हा ने 26 साल तक IAS के पद पर अपनी सेवाएं दीं और बिहार और दिल्ली में कई अहम पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने जर्मनी में वाणिज्यिक सचिव और महावाणिज्य दूत के तौर पर भी कार्य किया है।
ऐसे हुई सिन्हा की राजनीति में एंट्री
अपने कामकाज के दौरान सिन्हा बिहार के समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के विचारों से बेहद प्रभावित हुए और 1984 में नौकरी छोड़कर जयप्रकाश के मार्गदर्शन में खड़ी हुई जनता पार्टी में शामिल हो गए। दो साल के अंदर सिन्हा पार्टी के महासचिव बन गए। 1989 में जब जनता पार्टी से जनता दल बना तो वह इसके अखिल भारतीय महासचिव बनाए गए। 1990 में वह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और उनकी सरकार में वित्त मंत्री रहे।
वाजपेयी सरकार के सबसे शक्तिशाली मंत्रियों में शामिल थे सिन्हा
सिन्हा कुछ समय बाद ही भाजपा में शामिल हो गए और 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिए गए। भाजपा के साथ अपने सफर में उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया। 1999-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वह पहले वित्त मंत्री और फिर विदेश मंत्री रहे और उन्हें सरकार के सबसे शक्तिशाली नेताओं में गिना जाता था। हालांकि मोदी-शाह राज में उन्हें किनारा कर दिया गया और 2018 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
प्रधानमंत्री मोदी के कट्टर विरोधी हैं सिन्हा
सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कट्टर विरोधी माना जाता है और 2018 में उन्होंने यही कहकर भाजपा छोड़ी थी कि मोदी और भाजपा का मौजूदा नेतृत्व लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। वह पिछले साल मार्च में ही TMC में शामिल हुए थे।
अब तक लड़े चुनावों में सिन्हा का प्रदर्शन कैसा रहा?
सिन्हा ने 1988 में पहली बार चुनाव लड़ा और वह राज्यसभा सीट जीतने में कामयाब रहे। 1995 में वह भाजपा की टिकट पर बिहार विधानसभा चुनाव जीते। उन्होंने 1998 और 1998 लोकसभा चुनावों में भी जीत दर्ज की, लेकिन 2004 लोकसभा चुनाव में उन्हें अपनी सीट से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इसी साल राज्यसभा चुनाव जीतकर वह फिर संसद पहुंच गए। 2009 लोकसभा में उन्होंने जीत दर्ज की। 2014 लोकसभा चुनाव में वह मैदान में नहीं उतरे थे।
कैसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने सिन्हा?
असल में सिन्हा राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर विपक्षी पार्टियों की पहली पसंद नहीं थे और अन्य नामों के इनकार करने के बाद उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है। उनसे पहले शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, गोपाल कृष्ण गांधी और एचडी देवगौड़ा ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद विपक्ष के पास ज्यादा विकल्प भी नहीं बचे थे। सिन्हा पहले से ही उम्मीदवार बनना चाहते थे, ऐसे में उनके नाम पर अंतिम मुहर लगा दी गई।