राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके सिन्हा पिछले साल तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हुए थे। आज सुबह उन्होंने ट्वीट कर पार्टी से इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी। TMC प्रमुख ममता बनर्जी का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने लिखा, 'अब समय आ गया है, जब मैं बड़े उद्देश्य के लिए पार्टी से अलग हो जाऊं।'
जयराम रमेश ने दी फैसले की जानकारी
राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा के नाम का ऐलान करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए हमने एक संयुक्त उम्मीदवार को खड़ा करने और मोदी सरकार को और नुकसान करने से रोकने का फैसला किया है। आज हुई बैठक में हमने यशवंत सिन्हा को संयुक्त उम्मीदवार चुना है। हम सभी पार्टियों से यशवंत सिन्हा को वोट देने की अपील करते हैं।" आज हुई बैठक में कई विपक्षी पार्टियां शामिल हुई थीं।
2018 में छोड़ी थी भाजपा
यशवंत सिन्हा ने लंबी नाराजगी के बाद 2018 में भाजपा से अपना रास्ता अलग कर दिया था। पिछले साल मार्च में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ममता बनर्जी की TMC का दामन थामा था। इस्तीफा देने से पहले वो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। भाजपा छोड़ते हुए उन्होंने कहा था कि पार्टी की हालत खराब है और देश का लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की है।
कई अहम पदों पर रह चुके हैं सिन्हा
IAS अधिकारी रह चुके सिन्हा पहली बार 1998 में पहली बार लोकसभा सांसद बने थे। वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे थे। इससे पहले वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 1990-1991 तक चली सरकार में भी वित्त मंत्री थे।
1984 में नौकरी छोड़ राजनीति में आए
सिन्हा 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में आए थे। नौकरी छोड़कर वो जनता पार्टी में शामिल हुए और 1986 में इसके अखिल भारतीय महासचिव बने। दो साल बाद वो सांसद बनकर राज्यसभा पहुंचे। अगले साल यानी 1989 में जनता दल के गठन के समय उन्हें महासचिव बनाया गया। बाद में वो भाजपा में शामिल हुए और 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। उनके बेटे जयंत सिन्हा भाजपा के लोकसभा सांसद हैं।
अगले महीने है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून रखी गई है और 30 जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। वहीं नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 2 जुलाई होगी। अगर किसी उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो 18 जुलाई को मतदान होगा।
ये नेता हुए रेस से बाहर
राष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम जारी होते ही इस पद के लिए उम्मीदवारो के नामों की अटकलें लगाई जानी शुरू हो गई थी। ऐसी खबरें आई थीं कि विपक्ष ने शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी में से किसी को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित करने का मन बनाया है। हालांकि, एक के बाद एक इन नेताओं ने पेशकश के लिए पार्टियों को धन्यवाद करते हुए खुद को रेस से बाहर कर लिया था।
भाजपा की तरफ से भी आज हो सकता है नाम का ऐलान
भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी आज अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सकता है। इसके लिए भाजपा ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लेंगे।