कौन हैं भजनलाल शर्मा, जो बने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री?
क्या है खबर?
विधानसभा चुनावों के नतीजों के लगभग एक हफ्ते पूरे होने के बाद भजन लाल शर्मा को राजस्थान का नया मुख्यमंत्री चुना गया है।
खुद मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाजपा विधायक दल की बैठक में शर्मा का नाम प्रस्तावित किया, जिसका सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया।
आइए जानते हैं कौन हैं भजनलाल शर्मा और भाजपा ने उन्हें ही क्यों चुना।
परिचय
पहली बार के विधायक हैं शर्मा
शर्मा पहली बार विधायक बने हैं। उन्होंने सांगानेर सीट से कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48,081 वोटों से हराया था।
शर्मा को राजस्थान में किसी भी पार्टी गतिविधि के लिए सबसे आगे रहने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।
शर्मा का निवास जयपुर के जवाहर सर्किल पर है, लेकिन वह मूल रूप से भरतपुर के रहने वाले हैं।
वह भाजपा के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। शर्मा प्रदेश महामंत्री के तौर पर कार्यरत रहे हैं।
मेहनत
संगठन के नेता हैं शर्मा
शर्मा लंबे समय से भाजपा के संगठन में कार्यरत हैं और माना जा रहा है कि संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए ही उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह 4 बार प्रदेश महासचिव रह चुके हैं।
उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का करीबी भी माना जाता है और उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत RSS के छात्र संगठन अखिल भारतीय परिषद (ABVP) से की थी। इसके बाद वे भाजपा में आ गए।
संपत्ति
शर्मा के पास कितनी संपत्ति?
शर्मा के पास करीब एक करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति है, जबकि देनदारी 35 लाख रुपये है। विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के अनुसार,उनकी कुल संपत्ति में से 1,15,000 रुपये कैश है।
उनके विभिन्न बैंकों के अकाउंट में करीब 11 लाख रुपये डिपॉजिट है। शर्मा के पास 0.035 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसकी कीमत 3 लाख रुपये है।
भरतपुर में उनके 2 घर और एक फ्लैट है, जिनकी कीमत 1 करोड़ रुपये है।
जानकारी
25 साल बाद मिला राजस्थान को नया चेहरा
शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ ही 25 साल पुराने ट्रेंड का अंत हुआ है। दरअसल, राज्य ने 25 सालों से कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे को ही राज्य पर शासन करते हुए देखा था।
कारण
भाजपा ने शर्मा को क्यों बनाया मुख्यमंत्री?
शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने को भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
पार्टी ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया है। इसी तरह मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं।
माना जा रहा है कि अब राजस्थान में एक ब्राह्मण को मुख्यमंत्री चुनकर भाजपा ने सवर्णों को भी साधने की कोशिश की है।
बैठक
कैसे लगी शर्मा के नाम पर मुहर?
शर्मा के नाम पर मुहर लगने से पहले पार्टी में लंबा मंथन चला। पार्टी के समक्ष वसुंधरा राजे को मनाने की चुनौती थी।
ऐसे में राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक और उनके साथ विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को सह-पर्यवेक्षक बनाया गया था।
राजे के साथ राजनाथ ने पहले ललित होटल में आधे घंटे तक एक बैठक की और फिर दोनों पार्टी ऑफिस के लिए निकल गए। इसके बाद विधायक दल की बैठक में शर्मा के नाम पर मुहर लगाई गई।