पंजाब: अपने गढ़ पटियाला से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे अमरिंदर सिंह, बोले- 400 साल का साथ है

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव अपने गढ़ पटियाला से ही लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पटियाला 400 साल से उनके परिवार के साथ है और वे नवजोत सिंह सिद्धू के कारण इसे नहीं छोड़ सकते। इससे पहले सिंह ने कहा था कि वे विधानसभा चुनाव में वहीं से मैदान में उतरेंगे जहां से सिद्धू खड़े होंगे और उन्हें हराएंगे।
पटियाला विधानसभा सीट अमरिंदर सिंह का गढ़ है और वे चार बार यहां से विधायक चुने जा चुके हैं। वे अभी भी यहीं से विधायक हैं। इसके अलावा उनकी पत्नी प्रणीत कौर 2014 से 2017 तक यहां से विधायक रह चुकी हैं। सिंह ने सिद्धू को यहां से लड़ने की चुनौती भी दी थी और कहा था कि वे बुरी तरह से हारेंगे। सिद्धू ने जवाब में कहा था कि उनके लिए कोई एक सीट मायने नहीं रखती।
बता दें कि सिद्धू से टकराव के कारण अमरिंदर सिंह को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी और कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। इसके बाद सिंह ने कांग्रेस से ही इस्तीफे दे दिया और पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अपनी नई पार्टी बना ली। कांग्रेस से इस्तीफे देते वक्त उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर पाकिस्तान के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले सिद्धू को संरक्षण देने का आरोप लगाया था।
अमरिंदर के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन करने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। कृषि कानूनों को रद्द करके केंद्र सरकार ने इसका रास्ता भी साफ कर दिया है। सिंह ने पहले ही साफ कर दिया था कि भाजपा से कोई भी बात करने से पहले कृषि कानूनों को वापस लिया जाना जरूरी है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग राजनीतिक पार्टियों को प्रचार भी नहीं करने देंगे।
अगर भाजपा और अमरिंदर साथ आते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा उनके एजेंडे का सबसे प्रमुख बिंदु हो सकता है। भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे की पुरानी खिलाड़ी है और कई चुनावों में इसे भुना चुकी है। वहीं अमरिंदर भी इस क्षेत्र के कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं और कांग्रेस के साथ अपनी राजनीति के दौर में उन्होंने भाजपा को कभी भी खुद को इस मुद्दे पर घेरने नहीं दिया था। उनकी सैन्य पृष्ठभूमि इस चीज में उनकी मदद करती है।
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इनमें कई पार्टियों में मुकाबला होने जा रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस अभी रेस में थोड़ी आगे चल रही है, लेकिन अकाली दल बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके उसे चुनौती देने की कोशिश में है। अभी राज्य में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही आम आदमी पार्टी (AAP) भी सबको चौंकाने का माद्दा रखती है, हालांकि कोई बड़ा चेहरा न होना पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है।