कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे, सोनिया ने की पद की पेशकश
कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के तौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा है। सूत्रों ने बताया कि इलाज के लिए विदेश जाने से पहले सोनिया गांधी ने गहलोत को कांग्रेस की कमान संभालने की पेशकश की है। अभी तक गहलोत की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस अब अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार के बाहर भी विकल्पों पर नजर डाल रही है।
पेशकश पर गहलोत की क्या प्रतिक्रिया?
कांग्रेस प्रमुख पद की पेशकश पर प्रतिक्रिया देते गहलोत ने कहा, "मैं मीडिया से यह खबर सुन रहा हूं। मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। जो काम मुझे दिया गया है, वह मैं कर रहा हूं।" बता दें कि सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल और बेटी प्रियंका के साथ इलाज के लिए विदेश जा रही हैं। इससे पहले उन्होंने गहलोत को कांग्रेस प्रमुख के पद की पेशकश की है।
राहुल गांधी कमान संभालने को तैयार नहीं
कांग्रेस नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभाले, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया है। सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर रेस से बाहर हो चुकी हैं और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन को देखते हुए प्रियंका गांधी इस पद के लिए अपनी दावेदारी मजबूत नहीं कर पाई हैं। ऐसे में अशोक गहलोत को कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि, गहलोत चाहते हैं कि राहुल गांधी को ही पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।
राहुल नहीं बने अध्यक्ष तो कांग्रेस में आएगी निराशा- गहलोत
हाल ही में मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा था कि अगर राहुल कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो कांग्रेस में निराशा आएगी और कई लोग घर बैठ जाएगी। पार्टी से जुड़े लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते यह पद स्वीकारना चाहिए। दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनने के लिए अडिग हैं तो कोई उन्हें बाध्य नहीं कर सकता।
क्या सचिन पायलट के लिए खुलेगा रास्ता?
सचिन पायलट पिछले काफी समय से पार्टी हाई कमान से मुलाकात कर राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसी खबरें भी आई थीं कि हाई कमान ने उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा भी दिया था। अब अगर गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर दिल्ली लाया जाता है तो सचिन पायलट के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दरवाजे खुल जाएंगे। ऐसे में पार्टी एक तीर से दो निशाने साध सकती है।
सोनिया ने की थी इस्तीफे की पेशकश
मार्च में उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सोनिया गांधी ने राहुल और प्रियंका के साथ अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि, तब उन्हें नया अध्यक्ष चुने जाने तक पार्टी की कमान संभाले रखने के लिए मना लिया गया था। मई में उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी ने अपने आप को दोबारा मजबूत बनाने की कई रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की थी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
आखिरी बार 1996 में कोई गैर-गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष बना था। उस समय बिहार से आने वाले सीताराम केसरी को पार्टी की कमान सौंपी गई और 1998 में उन्हें बेहद ही नाटकीय तरीके से हटाकर सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया।